बिहार राज्य के विकास का मार्ग कृषि से होकर गुजरता है.सूबे की आबादी के करीब 85 प्रतिशत से अधिक लोगों के जीविकोपार्जन का माध्यम कृषि है, लेकिन कृषि में बेहतर कमाई नहीं होने से कई लोग परंपरागत खेती से नाता तोड़ चुके हैं, जबकि कई पढ़े लिखे युवक बेहतर सैलरी वाली नौकरी छोड़ आधुनिक विधि से खेती करके के सालाना मोटी कमाई भी कर रहे हैं. साथ ही कृषि को जीरो बजट वाली खेती के रूप में तब्दील करने में लगे हुए हैं. एक ऐसे ही किसान जेमिनी कृष्ण हैं, जिन्होंने कोरोना काल में इंजीनियर की नौकरी छोड़ कर प्राकृतिक खेती शुरू की थी. दो साल पहले शुरू हुए इस सफर में वह आज सालाना 15 लाख रुपये कमा रहे हैं.
जेमिनी कृष्ण किशनगंज जिले के ठाकुरगंज ब्लॉक के रहने वाले हैं. वह प्राकृतिक विधि से ड्रैगन,टमाटर,शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. और सालाना 15 लाख रुपये की कमाई कर रहें हैं.
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जेमिनी कृष्ण अपने बारे में बताते हैं कि उन्होंने 2013 में कम्प्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने करीब आठ साल तक देश के विभिन्न शहरों में नौकरी की, लेकिन कोरोना में घर आने के बाद वे दोबारा 8 से 9 घंटे वाली नौकरी करने बाहर नहीं गए. किसान तक से बातचीत में वह कहते हैं कि कोरोना के समय घर आने के बाद देखा कि लोगों के बीच ड्रैगन फ्रूट्स की मांग बढ़ी है. उसके बाद सोशल मीडिया व किताबों से ज्ञान अर्जित किया और करीब ढ़ाई एकड़ में ड्रैगन फ्रूटस की खेती शुरू की. जेमिन बताते हैं कि खेती के दौरान उन्होंने पाया कि रासायनिक खाद में अधिक खर्च आ रहा है. साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता में भी कमी आ रही है. इन समस्याओं देखते हुए उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया.
आगे वह प्राकृतिक खेती से जुड़े फायदे गिनाते हुए बताते हैं कि उनके खेतों में केंचुआ की मात्रा काफी बढ़ गई है. साथ ही खेतों में घास रहने की वजह से कार्बन की मात्रा भी बढ़ रही है. वह कहते हैं कि पिछले साल करीब 8 से 9 टन ड्रैगन फ्रूट्स का उत्पादन हुआ और उससे करीब 12 लाख रुपये के आसपास की कमाई हुई. साथ ही सब्जी की खेती से तीन लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. वहीं खेती में लगने वाला खर्च मामूली है.
किसान तक से बातचीत में 32 वर्षीय जेमिनी कृष्ण कहते हैं कि वे अपने खेत में जीवामृत, ह्यूमस वाटर, अच्छादन, मिट्टी के स्प्रे का उपयोग करते हैं. जिससे की उर्वरक में लगने वाले पैसे में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है. पहले करीब 2 लाख रुपये तक खर्च आता था. वहीं आज एक लाख से भी कम खर्च आ रहा है. आगे वे बताते हैं कि खेती कभी घाटे का सौदा नहीं बन सकती है. उसके लिए बस किसानों को आधुनिक समय की मांग के अनुसार खेती करनी होगी. खेती को बिजनेस का रूप दीजिए. साल का 5 से 6 लाख रुपए कमाना कोई बड़ी बात नहीं है. उन्होंने बताया कि खेती में आने से पहले नौकरी के दौरान 14 लाख रुपए का पैकेज था, लेकिन आज घर पर रहते हुए खेती 15 लाख रुपये सालाना की कमाई कर रहा हूं. जबकि नौकरी में 8 साल समय बिताने के बाद इतनी सैलरी मिलनी शुरू हुई थी.