Success Story: झिझक छोड़ी, खेती पकड़ी; पढ़िए उत्तराखंड की केदारी राणा के 'लखपति' बनने का सफर

Success Story: झिझक छोड़ी, खेती पकड़ी; पढ़िए उत्तराखंड की केदारी राणा के 'लखपति' बनने का सफर

उत्तराखंड की केदारी राणा कभी आत्मविश्वास की कमी के कारण चुप रहा करती थीं, लेकिन 'स्वयं सहायता समूह' से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. उन्होंने समूह लोन लेकर अपने खेत में 1,200 सेब के पेड़ लगाए. आज उनकी मेहनत का नतीजा यह है कि उनके बागान से सालाना 300 पेटी सेब की पैदावार होती है, जिससे वे साल में लाखों रुपये तक कमा रही हैं. वे न केवल खुद एक 'लखपति दीदी' बनीं, बल्कि उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को संगठित कर नए समूह भी बनवाए और तरक्की का रास्ता दिखा रही है.

apple farmer storyapple farmer story
क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Dec 27, 2025,
  • Updated Dec 27, 2025, 7:13 PM IST

उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाली केदारी राणा की कहानी संघर्ष से सफलता तक पहुंचने की एक मिसाल है. गार्डन स्वयं सहायता समूह से जुड़ने से पहले केदारी का जीवन काफी चुनौतियों भरा था. उनमें आत्मविश्वास की कमी थी और वे दूसरों के सामने अपनी बात रखने में हिचकिचाती थीं. लेकिन नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी. समूह से जुड़कर न केवल उनकी झिझक दूर हुई, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के अवसरों की भी जानकारी मिली, जिसने उनके भीतर छिपी उद्यमी महिला को जगा दिया. सफलता की पहली सीढ़ी तब शुरू हुई जब केदारी ने अपने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कर्ज लेकर अपने खेतों में सेब का बाग तैयार करने का निर्णय लिया.

सेब की मिठास ने दूर की गरीबी की कड़वाहट

केदारी ने अपने सपनों को सच करने के लिए समूह से दो किस्तों में कुल 1 लाख रुपये का लोन लिया इस पैसे से उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि अपने खेत में 'स्पर्श' किस्म के 1200 सेब के पौधे लगाए. यह निर्णय उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. जब धीरे-धीरे उनकी बंजर उम्मीदें हरे-भरे पेड़ों में बदलने लगीं. केदारी की मेहनत का फल अब उनके बागानों में साफ दिखाई देता है. आज उनके बागान से हर साल लगभग 300 पेटी सेब की पैदावार होती है. इससे उन्हें सालाना लगभग 3 लाख रुपये की आय हो रही है. उन्होंने अपनी फसलों का बीमा भी कराया है, जिससे खराब मौसम या ऑफ-सीजन में भी उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिलती है. आज वे एक "लखपति दीदी" के रूप में जानी जाती हैं और उनकी यह सफलता यह बताती है कि यदि सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलें, तो ग्रामीण महिलाएं भी बड़े मुकाम हासिल कर सकती हैं.

केदारी ने 30 समूहों को दी नई जिंदगी

केदारी राणा की सफलता सिर्फ उनकी अपनी तरक्की तक सीमित नहीं रही. समूह से मिलने वाले आत्मविश्वास ने उन्हें एक समाज सुधारक के रूप में भी उभारा है. उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को संगठित किया और अब तक 30 नए स्वयं सहायता समूहों के गठन में अहम भूमिका निभाई है. वह अपनी जैसी अन्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं. उनके इस योगदान ने गांव में महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया है और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा है. दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के गुर सिखा रही हैं झिझक छोड़कर खेती की राह पकड़ने वाली केदारी राणा आज पूरे उत्तराखंड के लिए एक मिसाल हैं.

मुश्किलें हारीं, केदारी जीतीं

आज केदारी एक 'कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में काम कर रही हैं. वे अपनी सफलता की कहानी और तकनीकी ज्ञान को दूसरी महिलाओं के साथ साझा करती हैं. वे उन्हें सिखाती हैं कि कैसे सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर गरीबी को मात दी जा सकती है. केदारी राणा का जीवन इस बात का जीवंत उदाहरण है. उनका कहना है कि "लखपति दीदी" योजना केवल एक नाम नहीं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और ग्रामीण भारत के विकास का एक सशक्त माध्यम है. उनकी यह यात्रा आज हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है. उत्तराखंड की रहने वाली केदारी राणा की कहानी यह साबित करती है कि अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो और सही सहारा मिल जाए, तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं है.

ये भी पढ़ें-

MORE NEWS

Read more!