Success Story: इजराइल तकनीक से खेती कर कमा रहे करोड़ों रुपये, किसान ने अपनी और गांव की तस्वीर बदली

Success Story: इजराइल तकनीक से खेती कर कमा रहे करोड़ों रुपये, किसान ने अपनी और गांव की तस्वीर बदली

खेती में नई तकनीक को अपनाना अकसर चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन जब ये सही तरीके से लागू की जाती हैं तो वे चमत्कारी परिणाम मिलते हैं. राजस्थान के जयपुर जिले के छोटे से गांव के किसान खेमाराम चौधरी ने इजराइल की उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी किस्मत बदल ली है. वह करोड़ों की कमाई कर रहे हैं साथ ही अपने इलाके और गांव की तस्वीर भी बदल दी है. आलम यह है कि उनके गांव को मिनी इजराइल कहा जाने लगा है.

इजराइली तकनीक के सफल किसान खेमाराम चौधरीइजराइली तकनीक के सफल किसान खेमाराम चौधरी
जेपी स‍िंह
  • नई दिल्ली,
  • Aug 01, 2024,
  • Updated Aug 01, 2024, 7:21 PM IST

इजराइल को खेती के क्षेत्र में दुनिया के सबसे हाई-टेक देशों में शामिल किया जाता है. इजराइल की अर्थव्यवस्था का प्रारंभिक आधार खेती ही था, और उन्होंने खेती से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान कर न केवल सफलताएं पाईं, बल्कि दुनिया के सामने खेती को लाभकारी बनाने के उदाहरण भी पेश किए. भारत में यह तकनीक लाखों किसानों के लिए एक सपना रही है. लेकिन, राजस्थान के जयपुर जिले के गुड़ा कुमावतान गांव के किसान खेमाराम चौधरी ने इजराइल की कृषि तकनीक को अपनाया और जो खेती में नई तकनीकों के सहारे एक नई कृषि क्रांति की नींव रख रहे हैं. वे अपनी फसलों की सिंचाई सोलर चालित पंप और माइक्रो इरिगेशन के माध्यम से कर रहे हैं, बिना बिजली पर निर्भर हुए. आज उनके सालाना टर्नओवर को देखकर हर कोई उनकी सराहना किए बिना नहीं रह सकता है.

मॉडर्न खेती तकनीकों से करोड़ों की कमाई

जयपुर जिले के मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित गुड़ा कुमावतान गांव के किसान खेमाराम चौधरी ने इजराइल की मॉडर्न खेती तकनीकों को अपनाया और अब वे करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं. खेमाराम चौधरी, जो 10वीं तक पढ़े-लिखे हैं, उन्नत तकनीक के प्रति अपने उत्साह के चलते इज़राइल का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि 2012 में राजस्थान सरकार ने उन्हें इज़राइल भेजा था, जहां उन्होंने खेती के आधुनिक तरीकों को देखा और लौटने के बाद तय किया कि इन तकनीकों को अपने खेत में लागू करेंगे. इसके बाद सरकार की सब्सिडी से पहला पॉलीहाउस 4,000 वर्गमीटर क्षेत्र में स्थापित किया, जिसकी लागत 33 लाख रुपये आई, जिसमें से नौ लाख रुपये उन्होंने बैंक से लोन लिया था.

उन्होंने पहले खीरे की खेती की, जिसमें डेढ़ लाख रुपये का खर्च आया और चार महीने में 12 लाख रुपये का खीरा बेचा. इस लाभ ने उन्हें आत्मविश्वास प्रदान किया और वे जल्द ही बैंक का कर्ज चुका पाए. इसके बाद काम में मुनाफा हुआ और कर्ज भी चुका दिया गया. आज उनके पास 30 हजार वर्ग मीटर में 7 पॉली हाउस मौजूद हैं. जहां वे खीरा, तरबूज, सब्जियां और फूल उगाते हैं. उनका सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक है. खेमाराम चौधरी राजस्थान के पहले किसान हैं जिन्होंने इजराइल के इस मॉडल की शुरुआत की थी.

खेमाराम का गांव बना खेती का मिनी इजराइल

 इन तरीकों को अपनाकर की बंपर कमाई 

खेती में पानी की बहुत अधिक जरूरत होती है और पानी के लिए बिजली और डीजल की जरूरत होती है, जो आज महंगे हो चुके हैं. खेमाराम ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए आधा-आधा एकड़ के दो तालाब खुदवाए, जिससे पानी को संरक्षित किया जा सके. उन्होंने सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक और बिजली के झंझट से मुक्ति के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया है. खेमाराम का कहना है कि सोलर पंप ने उन्हें बिजली की बार-बार कटौती और लंबी प्रतीक्षा से मुक्ति दी है. साथ ही, डीजल पर निर्भरता भी खत्म हो गई है. आज वे सोलर-ड्रिप और पॉलीहाउस की मदद से  खीरा, तरबूज, सब्जियाँ और फूल उगाते हैं खेती करके करोड़ों की कमाई कर रहे है.

उन्होंने बताया कि 40 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाने से बिजली की समस्या का समाधान हुआ और सौर ऊर्जा से चलने वाले फैन पैड ने फसल की गुणवत्ता बनाए रखी. ड्रिप इरिगेशन ने सिंचाई लागत को कम किया और फैन पैड ने पूरे साल फसल की गुणवत्ता को बनाए रखा. खेमाराम कहते हैं कि पॉलीहाउस में तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे फसल का मुनाफा कई गुना बढ़ गया है. खेमाराम के पास खुद के 7 पॉली हाउस, 2 तालाब, 4 हजार वर्ग मीटर में फैले फैन पैड, और 40 किलोवाट का सोलर पैनल है. खेमाराम ने दो तालाब बनाए हैं, जिसमें बरसात का पानी एकत्रित हो जाता है. इस पानी से छह महीने तक सिंचाई की जा सकती है. ड्रिप इरिगेशन और तालाब के पानी से ही पूरी सिंचाई होती है. यह सिर्फ खेमाराम ही नहीं, बल्कि यहां के ज्यादातर किसान पानी ऐसे ही संरक्षित करते हैं. पॉली हाउस की छत पर लगे माइक्रो स्प्रिंकलर भीतर तापमान को कम रखते हैं, जबकि दस फीट पर लगे फव्वारे फसल में नमी बनाए रखते हैं.

किसान खेमाराम चौधरी को कई सम्मान मिल चुके.

खेमाराम का गांव बना खेती का 'मिनी इजराइल'

खेमाराम की मेहनत और नवीन तकनीकों के इस्तेमाल से उन्हें न सिर्फ आर्थिक लाभ हुआ, बल्कि उन्होंने अपने गांव की तस्वीर भी बदल दी खेमाराम का गांव आज खेती का 'मिनी इज़राइल' बन गया है. उनके अनुभव ने अन्य किसानों को प्रेरित किया है. उनको देखकर उनके गांव और आसपास के क्षेत्र में किसानों ने 400 से अधिक पॉलीहाउस स्थापित किए हैं. उनके अनुभव से अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिलती है. अब यह इलाका मिनी इजराइल के नाम से जाना जाता है. खेमा राम कहते है कि अगर किसान नई तकनीकों को अपनाएं और मेहनत करें, तो उनकी आय कई गुना बढ़ सकती है. खेमाराम चौधरी को उनकी उत्कृष्ट खेती के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं .उनकी सफलता की कहानी केवल उनके व्यक्तिगत लाभ की नहीं है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है खेमाराम का कहना है कि किसान नई तकनीकों को अपनाएं और मेहनत करें और पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक तकनीकों को अपनाना फायदे का सौदा हो सकता है और उनकी आय कई गुना बढ़ सकती है.

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