Til Ki Kheti: हम आपको बिहार के एक ऐसे किसान की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जो तिल की खेती से बंपर कमाई कर रहे हैं. उनकी देखा-देखी कई और किसानों ने तिल की खेती करनी शुरू कर दी है और ये किसान भाई की अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं बिहार के कैमूर भभूआ जिले स्थित गांव नाटी के किसान जितेंद्र सिंह की. जितेंद्र सिंह बताते हैं कि वह भी अन्य किसानों की तरह पहले सिर्फ धान-गेहूं की खेती करते थे. 35 बीघा खेत में भी धान-गेहूं की फसल से सिर्फ इतनी कमाई हो रही थी कि किसी तरह घर-परिवार चल जाए. कुछ और काम के लिए पैसा बचता ही नहीं था. इससे वह काफी मायूस रहते थे.
ऐसे तिल की खेती करने का आया विचार
किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं कि वह एक बार राजस्थान गए थे. वहां पर उन्होंने खेतों में तिल की फसल लगी देखी. वहां के किसानों से उन्होंने इस फसल के बारे में बातचीत की. वहां कि किसानों ने उन्हें बताया कि वे इस फसल की कम लागत में खेती करके अच्छी-खासी कमाई कर लेते हैं.
इस फसल के लिए बहुत अधिक उपजाऊ भूमि की भी जरूरत नहीं पड़ती है. सिंचाई की भी बहुत जरूरत नहीं पड़ती है. वहां के किसानों ने इस फसल की बुवाई से संबंधि और भी जानकारी उन्हें दी. किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने भी तिल की खेती करने का फैसला किया.
हर साल कर रहे लाखों रुपए की कमाई
किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं कि वह पिछले 7 सालों से तिल की खेती कर रहे हैं. आज वह सिर्फ तिल की खेती से हर साल लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. किसान जितेंद्र सिंह ने बताया कि कई कृषि से संबंधित सेमिनारों में जाकर उन्होंने तिल की उन्नत तरीके से खेती के बारे में जाना.
आज के समय उनसे कई किसान तिल की खेती करने गुर सिखने के लिए आते हैं. किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं लगभग दो महीने में तिल की फसल तैयार हो जाती है. बाजार में तिल की मांग हमेशा रहती है. इसका यूज खाद्य चीजों से लेकर कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स तक में किया जाता है. किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं कि अन्य किसान भाई भी तिल की खेती कर दो महीने में अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं.
ऐसे करें तिल की खेती
हमारे देश में किसान भाई तिल की साल में तीन बार खेती करते हैं लेकिन खरीफ सीजन के दौरान इसकी खेती करने से अधिक मुनाफा होता है. आमतौर पर जुलाई महीने में तिल की खेती की जाती है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मध्यम से भारी मिट्टी अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का पीएच रेंज 58.0 के बीच होनी चाहिए. इस फसल की खेती के लिए 25-35 डिग्री तापमान अच्छा माना जाता है.
तिल की खेती करने से पहले खेत की दो-तीन बार अच्छी तरह से जुताई कर लेनी चाहिए. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. फिर कल्टीवेटर या देसी हल से खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें. खेत की आखिरी जुताई के समय सड़ी गोबर की खाद को मिला दें. इससे बुवाई और मिट्टी अच्छी रहेगी. मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर बुवाई के समय 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर डाल सकते हैं.
कतारों में करें तिल की बुवाई
तिल की बुवाई करते समय अच्छी किस्म के बीजों का इस्तेमाल करें. खेत में तिल की बुवाई कतारों में करें. 30-45 सेंटीमीटर कतार से कतार और 15 सेमी पौधे से पौधे की दूरी होनी चाहिए. बीज की गहराई दो सेमी रखी जाती है. किसान भाई तिल की खेती अकेले या सहफसली के रूप में अरहर, मक्का एवं ज्वार के साथ भी कर सकते हैं. तिल की जुलाई में बुवाई के चलते इसकी सिंचाई के लिए पानी की पूर्ति बारिश से ही हो जाती है.
फिर भी कम बारिश की स्थिति में खेतों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए. जब तिल के पौधों की पत्तियां पीली होकर गिरने लगें, तब इस फसल की कटाई करनी चाहिए. जल्दी कटाई तिल के बीज को पतला और बारीक रखकर उनकी उपज कम कर देती है. कटाई करने के बाद तिल के पौधों के सूखने के बाद इन्हें आपस में पीटकर तिल के दानें निकाल लें और बाजार में बेच दें.