राजस्थान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर 28 फ़रवरी 2025 को आयोजित राजस्थान विज्ञान महोत्सव में सिरोही जिले के काछौली गांव के बायोटेक किसान ईशाक अली को राजस्थान राज्य नवाचार पुरस्कार से सम्मानित किया. ईशाक अली को राजस्थान राज्य नवाचार पुरस्कार की ग्रासरूट केटेगरी में दूसरे स्थान पर यह पुरस्कार आबू सौंफ-440 नामक सौंफ की किस्म विकसित करने के लिए दिया गया है. जयपुर ग्रामीण के सांसद राव राजिंदर सिंह, राजस्थान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव वी. सरवण कुमार और राज्य नवाचार परिषद के सचिव विजय कुमार सक्सेना ने इशाक अली को 51000 रुपये का नकद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर, जोधपुर के डॉ भागीरथ चौधरी ने कहा कि नवाचार पुरस्कार से सम्मानित प्रगतिशील किसान ईशाक अली, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की बायोटेक किसान परियोजना से जुड़े दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और इससे सौंफ में कीटनाशक रहित खेती करने के वैज्ञानिक तरीकों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
बायोटेक किसान परियोजना के माध्यम से किसान ईशाक अली के बनाए आबू सौंफ-440 किस्म का न केवल भारत सरकार के “पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण” में पंजीकृत करने में मदद की हैं बल्कि उनके खेत में राजस्थान की प्रथम "आबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक" की स्थापना की है जो आबू सौंफ को दुनिया भर में प्रीमियम मसाला श्रेणी में दर्ज कराएगा.
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पिछले तीन सालों से, प्रगतिशील किसान इशाक अली भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा संचालित पश्चिमी शुष्क क्षेत्र (सिरोही का आकांक्षी जिला) के लिए बायोटेक किसान हब परियोजना से जुड़े हुए हैं. साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (एसएबीसी), जोधपुर और आईसीएआर-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काज़री) क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन (आरआरएस), पाली के सहयोग से चलाई जा रही इस परियोजना में सिरोही के किसानों के बीच आबू सौंफ की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की बायोटेक किसान परियोजना ने 7,000 हेक्टेयर में फैले प्रमुख आबू सौंफ उगाने वाले क्षेत्रों की पहचान की है. राजस्थान के सिरोही जिले में “अबू सौंफ” की क्वालिटी में सुधार के लिए छोटे किसानों को अच्छी कृषि पद्धतियां (जीएपी) और एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) अपनाने में मदद की जा रही है.
काछौली गांव में ईशाक अली के खेत में स्थापित आबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक एक बड़ी पहल है, जिसमें 100 से अधिक सौंफ जर्मप्लाज्म को संरक्षित किया गया है. यह संरक्षण जैव विविधता को संरक्षित करती है और इन-सीटू संरक्षण को बढ़ावा देती है. किसान ईशाक अली की सहायता से अबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक पारंपरिक खेती की धरोहर और आधुनिक प्रथाओं के संयोजन का एक मॉडल बन गया है जो टिकाऊ कृषि का मार्ग प्रशस्त करता है. आबू सौंफ जीन बैंक पारंपरिक और उन्नत बीजों के संग्रह, भंडारण और आदान-प्रदान पर जोर देता है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के खिलाफ पारंपरिक किस्मों को संरक्षित करता है और इन-सीटू जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देता है.
अपनी सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाने वाली सौंफ किस्म “आबू सौंफ-440” को भारत सरकार के “पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण” के द्वारा पंजीकृत किया गया है. इससे सिरोही के किसानों के लिए मान्यता और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित होती है. सौंफ किस्म "अबू सौंफ-440" के पंजीकरण के लिए आवेदन सिरोही जिले के काछौली गांव के प्रगतिशील किसान ईशाक अली द्वारा विकसित किया गया है, जो पीपीवी और एफआर अधिनियम, 2001 के तहत कानूनी संरक्षण प्राप्त करने वाली राजस्थान के सिरोही जिले की पहली सौंफ किस्म बन गई है.
राजस्थान के सिरोही क्षेत्र में 7,000 हेक्टेयर में उगाई जाने वाली स्थानीय सौंफ की किस्म “आबू सौंफ-440” की क्वालिटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है. परियोजना के तहत इस पहल को पिछले तीन वर्ष (रबी 2023-24 और रबी 2024-25) में उच्च क्वालिटी वाली सौंफ की खेती और बीज उत्पादन का विस्तार करने के लिए प्राथमिकता दी गई है.
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किसानों को उत्पादन का बाजार मूल्य बढ़ाने के लिए रौगिंग (ऑफ-टाइप को हटाने), एकीकृत कीट प्रबंधन, फसल पोषण और बेहतर बीज़ सुखाने की विधि के तरीकों जैसी तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया. सिरोही जिले में अधिकतर किसान आईपीएम क्वालिटी वाले आबू सौंफ का उत्पादन करने के लिए स्थानीय किस्म “आबू सौंफ-440” की रोपाई करते हैं, जिसकी उच्चतम प्रीमियम कीमत 200-400 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच मिलती है.
सौंफ की फसल में उच्च गुणवत्ता उत्पादन को सक्षम करने के लिए मिट्टी और जल स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इस पहल के अंतर्गत नर्सरी पौध विकास, फसल की क्वालिटी और बाजार प्राप्ति में सुधार के लिए आईएनएम, आईपीएम और आईडीएम को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि अवशेष मुक्त, उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन सुनिश्चित किए जा सकें और साथ ही सिरोही जिले की विशिष्ट “आबू सौंफ-440” किस्म की आर्थिक उत्पादन क्षमता को बढ़ावा दिया जा सके.