Success Story: प्राकृतिक खेती के लिए किसान ने बनाया चमत्कारिक तालाब, सिंचाई करते ही बंजर भूमि भी उगलने लगी सोना

Success Story: प्राकृतिक खेती के लिए किसान ने बनाया चमत्कारिक तालाब, सिंचाई करते ही बंजर भूमि भी उगलने लगी सोना

बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए सरकार ने किसानों को रासायनिक खेती करने के लिए विवश कर दिया. आज देश में भले ही अनाज का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन दूसरी तरफ मिट्टी की सेहत भी खराब होने लगी है. रायबरेली के ऐसे ही एक उन्नत किसान शेखर त्रिपाठी हैं जिनका सपना था कि वे आईएएस अधिकारी बनें, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. अब वह 10 एकड़ के फॉर्म में पूरी तरीके से गौ आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं.

धर्मेंद्र सिंह
  • Rae Bareli,
  • Dec 19, 2023,
  • Updated Dec 19, 2023, 1:46 PM IST

खेती की मुख्यतः तीन विधियां ही सबसे ज्यादा प्रचलित हैं. वर्तमान में अब रासायनिक खेती की बजाय प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती की तरफ किसानों का रुझान तेजी से बढ़ने लगा है. खेती का स्वरूप ही पहले प्राकृतिक था, लेकिन 1970 दशक में  समय की मांग और बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए सरकार ने किसानों को रासायनिक खेती करने के लिए विवश कर दिया. आज देश में भले ही अनाज का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन दूसरी तरफ मिट्टी की सेहत भी खराब होने लगी है. इसके दुष्परिणाम अब खुलकर सामने आ रहे हैं. वहीं अब किसान गौ आधारित खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. रायबरेली के ऐसे ही एक उन्नत किसान शेखर त्रिपाठी हैं जिनका सपना था कि वे आईएएस अधिकारी बनें, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. अब वह 10 एकड़ के फॉर्म में पूरी तरीके से गौ आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं. वहीं उन्होंने प्राकृतिक खेती का एक ऐसा मॉडल बनाया है जिसकी बदौलत न सिर्फ उनका उत्पादन बढ़ा है, बल्कि मिट्टी की सेहत में भी आमूलचूल परिवर्तन आया है.

चमत्कारी तालाब के पानी से मिट्टी हो जाती है सोना

प्राकृतिक खेती के लिए ज्यादातर किसान गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करके जीवामृत और बीजामृत बनाकर खेती कर रहे हैं. वहीं रायबरेली जनपद के सहजौरा में 10 एकड़ के फॉर्म में खेती करने वाले उन्नत किसान शेखर त्रिपाठी ने एक ऐसा मॉडल बनाया है जिसकी तारीफ अब सरकार भी कर रही है. उन्होंने 2017 में 10 एकड़ क्षेत्रफल में समृद्धि एग्रो फार्म का निर्माण किया. उनके पास  वर्तमान में 60 से ज्यादा गाय हैं. वह दूध उत्पादन के साथ-साथ गौ आधारित खेती करते हैं लेकिन उनका मॉडल बिल्कुल अलग है. उन्होंने गाय के गोबर को एक तरफ इकट्ठा किया जबकि दूसरी तरफ एक 2000 स्क्वायर फीट का तालाब बनाया है. दोनों को एक पाइप के माध्यम से जोड़ दिया. इस तालाब में पानी के साथ-साथ गोबर का स्लरी और गौमूत्र भी पहुंचता है. धूप और एलगी के साथ इस तालाब का पानी खेतों के लिए अमृत बन जाता है. उन्होंने किसान तक को बताया कि जब उन्होंने इस पानी से अपने खेत की सिंचाई करते हैं तो इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ा है बल्कि मिट्टी में कार्बनिक तत्व की मात्रा भी एक प्रतिशत से ज्यादा हो गई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें :क्यों अमरूद के छोटे फल गिरने लगते हैं? ये है वजह, बचाव के लिए दवा का नाम भी जान लें

सिंचाई के लिए करते हैं बारिश के पानी का संरक्षण

समृद्धि एग्रो फार्म के संचालक शेखर त्रिपाठी ने बताया कि पहले वह तालाब के जरिए बारिश के पानी का संचय करते थे लेकिन उनके मन में इस पानी को गाय के गोबर और गोमूत्र से युक्त करके चमत्कारिक खाद बनाने का विचार आया. उन्होंने यह प्रयोग पिछले 5 सालों से कर रहे हैं. आज रासायनिक खाद के बराबर उनकी फसल का उत्पादन हो रहा है. वही मिट्टी की सेहत में भी बड़ा सुधार देखने को मिला है. इस तालाब के पानी से वह अपने खेतों की पर्याप्त सिंचाई कर लेते हैं. उनके फार्म पर आने वाले किसानों को वह इस मॉडल की न सिर्फ ट्रेनिंग देते हैं बल्कि उन्हें हर संभव तरीके से मदद भी करते हैं.

सपना था आईएएस बनने का, बन गए किसान

शेखर त्रिपाठी की उम्र आज 47 साल है लेकिन उनके भीतर खेती का जज्बा किसी युवा की तरह कायम है. उन्होंने किसान तक को बताया कि वे आइएएस बनना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने खूब तैयारी की. कोरोना के दौर में उन्होंने एक कोचिंग भी खोली थी जो नहीं चली. वे कहते हैं नियति को कुछ और ही मंजूर था. उन्होंने फिर खेती की तरफ अपना रुझान किया. रायबरेली जनपद के सहजौरा में 10 एकड़ की बंजर भूमि को खरीद कर उन्हें ने उपजाऊ बनाया और फिर 100 गायों के साथ एक गौशाला भी शुरू की. इससे न सिर्फ दूध उत्पादन होता था बल्कि उन्होंने गाय के गोबर गोमूत्र से तीन तरह की खाद का भी निर्माण करने लगे. आज उनके फार्म पर कई तरह के प्राकृतिक अनाज उगाते हैं जिसको बाजार में अच्छे दामों में बेचते भी है.

MORE NEWS

Read more!