बिहार में हजारों किसानों का सहारा बनी कोसी नदी, फल-सब्जियों की खेती से हो रहा है तगड़ा मुनाफा

बिहार में हजारों किसानों का सहारा बनी कोसी नदी, फल-सब्जियों की खेती से हो रहा है तगड़ा मुनाफा

Kosi Riverbank Farming: कोसी नदी की रेत पर हजारों किसान सब्ज़ियों और फलों की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. सुपौल, सहरसा, मधेपुरा समेत कई जिलों के किसान कोसी की रेत पर तरबूज, खीरा, कद्दू और लौकी जैसी फसलें उगा रहे हैं. यह खेती उनके लिए आय का साधन बनी हुई है, लेकिन जून से शुरू होने वाली बारिश के मौसम में फिर से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

Kosi Riverbank FarmingKosi Riverbank Farming
क‍िसान तक
  • Supaul,
  • May 21, 2025,
  • Updated May 21, 2025, 4:28 PM IST

Kosi Riverbank Farming: सुपौल की धरती पर कोसी नदी दो चेहरे लेकर आती है- इसका एक चेहरा विनाश का है- जब यह बाढ़ बनकर ज़िंदगियां तबाह कर देती है. वहीं, इसका दूसरा चेहरा वरदान का भी है- जब यह अपने पीछे रेत छोड़ जाती है. इस समय किसान इसमें- तरबूज, खीरा, कद्दू और लौकी उगा रहे हैं और लाखों की कमाई कर रहे हैं. बाढ़ की विकराल लहरों से तबाही का मंजर रचाने वाली कोसी, बाढ़ उतरते ही रोज़गार, हरियाली और उम्मीद दे जाती है.

दर्जनों जिलों के किसान कमा रहे मुनाफा

कोसी नदी की बाढ़ जब शांत होती है तो यह अपने पीछे दूर-दूर तक रेत का अथाह अंबार छोड़ जाती है और सैकड़ों-हजारों किसानों के लिए वरदान बन जाती है. नेपाल के कोसी बैराज से लेकर कटिहार के कुरसेला तक फैले क्षेत्र में सुपौल, सहरसा, मधेपुरा समेत दर्जनों जिलों के हजारों किसान कोसी की रेत पर लाखों एकड़ में खेती कर रहे हैं और लाखों की आमदनी कर रहे हैं. हालांकि, ये खुशी अब कुछ ही दिनों की मेहमान है, क्योंकि जून से बारिश का मौसम फिर दस्तक देने वाला है और कोसी फिर से अपना बाढ़ रुपी रौद्र रूप दिखा सकती है.

सुपौल के हजारों किसान कर रहे खेती

वर्तमान में कोसी की इस रेत में तरबूज, खीरा, ककड़ी, कद्दू जैसी सब्ज़ियां और फलों की खेती हो रही है और कई किसानों की आय का साधन बनी हुई है. यह बानगी इंडो-नेपाल सीमा पर बसे सुपौल जिले के भगवानपुर गांव की है. कोसी के बीचो-बीच फैले बालू के मैदान पर दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई है. यहां किसान फल और सब्जियां उगाकर तगड़ी कमाई कर रहे हैं.

सुपौल के एक किसान सुशील कुमार ने बताया कि बाढ़ लौटने के बाद जहां तक नजर जाती है, वहां तक रेत पर हजारों एकड़ में तरबूज, खीरा, ककड़ी, कद्दू, लौकी जैसी फसलों की खेती हो रही है. सैकड़ों लोगों को इससे रोजगार मिला है और लाखों की आमदनी हो रही है.

कई मंडियों में पहुंच रही है फल-सब्जियां

सुशील कुमार ने बताया कि उन्होंने कई एकड़ में तरबूज और लौकी की खेती की है. उनकी उपज को सिलीगुड़ी, पटना और कोलकाता की मंडियों में भेजा जा रहा है. इलाके के मजदूरों, गाड़ी वालों और किसानों को इस रेत खेती से रोजगार मिल रहा है और अच्छी कमाई हो रही है. ऐसे हजारों किसान हैं, जो रेत पर सब्जियां उगा रहे हैं, लेकिन अब उनकी खेती अंतिम चरण में है, क्योंकि कुछ ही दिनों में बाढ़ का खतरा फिर सामने आने वाला है.

उत्तर प्रदेश के बागपत से आए एक किसान ने बताया कि वे लोग रेत पर खेती के अनुभवी हैं. कोसी घूमने आए तो यहां की रेत देख खेती शुरू की. उनके देखादेखी सुपौल सहित कई जिलों के किसान भी रेत पर खेती करके कमाई कर रहे हैं. हालांकि, अब जल्‍द ही मॉनसून आने वाला है और कोसी में फिर से बाढ़ का तांडव देखने को मिलने वाला है. (रामचंद्र मेहता की रिपोर्ट)

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