यूपी में योगी सरकार ने फसलों की उपज से जुड़े सटीक आंकड़े जुटाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित सर्वे कराने का फैसला किया है. केंद्र सरकार की पहल पर पूरे देश में फसलों का डिजिटल सर्वे कराने की अहम परियोजना में यूपी सरकार भी भागीदार बनेगी. इसके लिए पूरे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से डिजिटल क्रॉप सर्वे कराया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. यूपी के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कैबिनेट की बैठक के बाद यह जानकारी देते हुए बताया कि इस सर्वे के आधार पर न केवल फसलों की उपज के सटीक आंकड़े मिल सकेंगे, बल्कि प्राकृतिक आपदा में फसल नष्ट होने का भी सटीक आकलन करके किसानों को उचित मुआवजा दिया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की इस परियोजना में यूपी पायलट प्रोजेक्ट के स्तर से ही भागीदार बन गया है.
शाही ने कहा कि भारत सरकार ने पूरे देश में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराने की परियोजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत 12 राज्यों के चुनिंदा जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराए जा रहे हैं. इन राज्यों में यूपी भी शामिल है.
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यूपी में किसानों के खेतों की संख्या के बारे में शाही ने बताया कि प्रदेश में 7.87 करोड़ प्लॉट्स हैं. इन पर लगाई जाने वाली फसलों का आकलन करने के लिए अपनाई जा रही मौजूदा मैनुअल पद्धति से फसलों के सही आंकड़े नहीं मिल पाते थे. उन्होंने कहा कि मोबाइल एप आधारित डिजिटल क्रॉप सर्वे से हर खेत में बोई जाने वाली फसल और उसकी उपज के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए इस पद्धति को अपनाया गया है.
शाही ने कहा कि इससे फसलों की उपज के अलावा किसानों को मिलने वाले आपदा राहत का मुआवजा तय करना आसान होगा. साथ ही किसानों को इस सर्वे के आंकड़ों के आधार पर यह बताया जा सकेगा कि वे अपने किस खेत में कब कौन सी फसल लगाएं. उन्होंने बताया कि सर्वे में शामिल जिलों और ग्रामों में खेत एवं अन्य संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार कर लिया गया है. इसके आधार पर डिजिटल क्रॉप सर्वे में जियो रेफरेंसिंग की जा सकेगी.
शाही ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट में शामिल 21 जिलों को शत प्रतशत सर्वे का हिस्सा बनाया गया है. शेष 54 जिलों के 10 राजस्व ग्राम सर्वे में शामिल किए गए हैं. शाही ने कहा कि जिन जिलों को पूर्ण सर्वे में शामिल किया गया है उनमें भदोही, संतकबीरनगर, औरैया, महोबा, हमीरपुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, मिर्ज़ापुर, मुरादाबाद, जालौन, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, अयोध्या, चंदौली, झाँसी, बस्ती, हरदोई, देवरिया और गोरखपुर हैं. पायलट प्रोजेक्ट में शामिल जिलों और गांवों का जियो रिफरेंस के आधार पर खसरा वार सर्वे किया जाना है.
उन्होंने बताया कि सर्वे के लिए कृषि एवं उद्यान विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है. इसमें अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के तौर पर पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि यह योजना केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित होगी. इसमें केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत व्यय का वहन करेगी.
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शाही ने कहा कि डिजिटल क्रॉप सर्वे में हर खेत की जियो रेफरेंसिंग होने के बाद भूस्वामी किसान काे सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपने भू अभिलेखों का बार बार सत्यापन नहीं कराना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी एमएसपी पर अपनी उपज बेचने या फसल बीमा का लाभ लेने के लिए किसानों को हर साल भू अभिलेखों का सत्यापन कराना पड़ता है. यूपी सरकार के राजस्व विभाग की राजस्व परिषद को यह सर्वे कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रॉप सर्वे का सत्यापन थर्ड पार्टी एजेंसी के द्वारा समय समय पर कराया जाएगा. थर्ड पार्टी का चयन राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करेगी.
उन्होंने कहा कि इससे न केवल फसलों के आच्छादन एवं उपज की सटीक जानकारी मिल सकेगी, बल्कि किसानों काे बैंक द्वारा फसली ऋण देने में भी सहूलियत होगी. इसके आंकड़ों के आधार पर पता चल सकेगा कि किस किसान को कितनी मात्रा में ऋण की जरूरत है और उसके द्वारा ऋण में मिली रकम का कहां इस्तेमाल किया गया है.
शाही ने बताया कि कैबिनेट ने जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु यूपी कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अधिनियम 1958 का अग्रसर संशोधन करने के संबंध में प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. इससे प्रदेश के पांचवें कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ है. इससे कुशीनगर, गोरखपुर और आजमगढ़ के युवाओं को कृषि शिक्षा का लाभ मिल सकेगा.