योगी सरकार ने यूपी में Food Processing Industry को बढ़ावा देने, खाद्य प्रसंस्करण से किसानों को जोड़ने और फूड प्रोसेसिंग कारोबारियों को सीधे किसानों से Agriculture Produce खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से मंडी शुल्क में छूट देने की पहल की है. इसके लिए सरकार ने मंडी कानून एवं इससे जुड़े नियमों में ढील देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इस प्रस्ताव में मंडी अधिनियम 1964 में किए गए संशोधन के क्रम में कृषि उत्पाद मंडी नियमावली 1965 में संशोधन करने की बात की गई है. राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निदेशक अंजनी कुमार ने बताया कि किसान खुद खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ें और फूड प्रोसेसिंग उद्यमी सीधे किसानों से कृषि उत्पाद खरीदें, इसके लिए ही मंडी शुल्क संबंधी नियमों में ढील देने की पहल की गई है.
कुमार ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों काे बढ़ावा देने के मकसद से इस साल 30 अप्रैल को एक अध्यादेश लाया गया था. इसमें कहा गया था कि मंडी शुल्क के दायरे में आने वाले कृषि उत्पादों को, जिन्हें या तो प्रदेश के बाहर से यूपी में लाया जाता है या प्रसंस्करणकर्ता द्वारा किसानों से सीधे खरीदा जाता है, उस पर मंडी शुल्क और विकास उपकर छूट मिलेगी.
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कुमार ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में किसानों से कारोबारियों द्वारा जिस कीमत पर कृषि उत्पाद खरीदे जाते हैं, उस कीमत पर 1 प्रतिशत मंडी शुल्क लगता है और आधा प्रतिशत विकास उपकर लगता है. उन्होंने कहा कि इन दोनों शुल्क में छूट मिलने पर प्रसंस्करण यूनिट से जुड़े कारोबारियों को 1.5 प्रतिशत का लाभ होगा.
कुमार ने कहा कि आम तौर पर यह माना जाता है कि खाद्यान्न का व्यापार लाभांश से 1 से 2 प्रतिशत के मार्जिन पर होता है. ऐसे में 1.5 प्रतिशत की कर छूट से लाभांश बेहतर मात्रा में मिलेगा. इससे यूपी की Food Processing Units और Mills तत्काल प्रभाव से प्रतिस्पर्धा में आ जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह लाभ बढ़ाने के लिए कारोबारियों के बीच किसानों की उपज लेने की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इसका परोक्ष लाभ किसानों को मिलेगा.
उन्होंने कहा कि किसान निश्चित रूप से मंडी भाव से अधिक कीमत पर फूड प्रोसेसिंग कारोबारियों को अपनी कृषि उपज बचेंगे. साथ ही एक समय के बाद किसान भी फूड प्रोसेसिंग कारोबार की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होंगे. इसी उद्देश्य को लेकर मंडी कानून एवं नियमों में संशोधन किया गया है.
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योगी कैबिनेट द्वारा मंडी नियमों में संशोधन से जुड़ा प्रस्ताव मंजूर होने के बाद अब यूपी में कृषि उत्पादों के Transportation को लेकर Unified Licence System यानी एकीकृत लाइसेंस व्यवस्था भी लागू हो जाएगी. अब यूपी के थोक व्यापारी एक लाइसेंस हासिल करके यूपी के किसी भी मंडी क्षेत्र में कारोबार कर सकेंगे.
इससे कृषि उत्पादों की थोक खरीद के क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. स्वाभाविक ताैर पर इससे किसानों की आय में इजाफा होना तय है. इससे फूड प्राेसेसिंग कारोबार भी बढ़ेगा और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
कुमार ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण यूनिट्स को मंडी शुल्क में छूट देने के अन्य राज्यों के अनुभव से पता चलता है कि इससे किसान बाजार की स्पर्धा में शामिल होते हैं और उनकी आय में भी इजाफा होना पाया गया. इन राज्यों में पंजाब, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र और गोवा भी शामिल हैं. इन राज्यों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का लाभांश बढ़ा है. साथ ही इन यूनिट्स से किसान भी सीधे तौर पर तेजी से जुड़ रहे हैं.