'डैमेज कंट्रोल' की कवायद! सस्ता गेहूं बिक्री की स्कीम में सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

'डैमेज कंट्रोल' की कवायद! सस्ता गेहूं बिक्री की स्कीम में सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

ऐसी शिकायत है कि गेहूं की ओपन मार्केट सेल स्कीम बिचौलियों को अधिक फायदा पहुंचा रही है. गेहूं की नीलामी के दौरान इस तरह की शिकायत खूब आई. तभी सरकार का गेहूं बिकने के बावजूद खुले बाजार में इसके रेट में कोई कमी नहीं दिख रही है. इसे देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.

ओएमएसएस स्कीम में व्यापारी हिस्सा नहीं ले पाएंगेओएमएसएस स्कीम में व्यापारी हिस्सा नहीं ले पाएंगे
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 16, 2023,
  • Updated Jul 16, 2023, 11:56 AM IST

सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी कि OMSS में व्यापारियों को गेहूं खरीदने से रोक दिया है. व्यापारी गेहूं नीलामी के अगले राउंड में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. नीलामी का अगला राउंड 19 जुलाई को निर्धारित है, लेकिन इस बार व्यापारी इससे दूर रहेंगे. इसकी बड़ी वजह ये बताई जा रही है कि ओमएसएस का फायदा आम लोगों से अधिक बिचौलिये उठा रहे हैं. जबकि यह स्कीम इसलिए शुरू की गई है ताकि खुले बाजार में सरकारी रेट पर गेहूं की सप्लाई बढ़े और आम लोगों को सस्ते में गेहूं-आटा मिल सके. चावल भी इसी नीलामी में आता है. लेकिन कई राउंड की नीलामी के बावजूद खुले में गेहूं और आटे का रेट नहीं घट रहा है. इस बीच बिचौलियों के खिलाफ शिकायत आई जिसके बाद सरकार ने यह बड़ा फैसला लिाया है. 

'किसान तक' ने भी यह खबर प्रकाशित थी जिसे यहां (बिचौलियों के चंगुल में फंसी सरकार की अनाज बिक्री स्कीम! FCI को कम मिल रहे गेहूं-चावल के खरीदार!) पढ़ा जा सकता है.

मकसद से चूक गई योजना?

व्यापारियों को नीलामी से रोके जाने के बाद गेहूं की बिक्री बड़े पैमाने पर घटेगी. अभी तक सरकार ने 3.93 लाख टन गेहूं की बिक्री की है. ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत सरकार ने 28 जून से नीलामी शुरू की है और हफ्ते बिक्री की जा रही है जिसमें गेहूं के साथ चावल भी शामिल है. 12 जून को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने इस योजना के बारे में बताया था कि सरकार सेंट्रल पुल से 15 लाख टन गेहूं की खरीद फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिये करेगी. सचिव ने यह भी कहा था बाद में मांग के अनुरूप खेप बढ़ाई जा सकती है.

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खुले बाजार में नहीं घटे गेहूं के भाव

इस कवायद के पीछे मकसद था खुले बाजार में गेहूं की सप्लाई को दुरुस्त करना और गेहू-आटा का भाव कम करना. लेकिन मामला उलटा होता चला गया. गेहूं की बिक्री बढ़ती गई, लेकिन खुले बाजार में इसका दाम भी तेजी पकड़ता गया जबकि सरकारी गेहूं की सप्लाई बढ़ने के बाद दाम गिरने चाहिए थे. नीलामी के पहले राउंड में जहां गेहूं की बिक्री 21 फीसद रही, वह दूसरे राउंड में 42 फीसद हो गई. लेकिन दाम घटने के बजाय बढ़ गए. गेहूं के दाम जहां 31 रुपये को पार हो गए वहीं आटा 36 रुपये के पार चला गया है.

बिचौलिए उठा ले गए फायदा!

इन सबके बीच एक चिंता वाली बात ये रही कि ओएमएसएस के जरिये खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की गई, लेकिन वह गेहूं आम लोगों तक नहीं पहुंचा. यानी गेहूं की सप्लाई पूरी तरह से दुरुस्त नहीं हो पाई, तभी गेहूं के खुदरा मूल्य नहीं गिरे. इससे आशंका बढ़ गई है कि ओएमएमएस योजना का गेहूं क्या बिचौलियों के पास पहुंच रहा है? मीडिया में ऐसी खबरें आई भी हैं जिसमें व्यापारियों ने सरकार की स्कीम पर सवाल उठाया. स्कीम से बिचौलियों के फायदे की शिकायत की गई. 

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यह भी शिकायत रही कि एक व्यापारी को 100 टन गेहूं मिलने से कुछ नहीं होगा क्योंकि इस मात्रा से उनकी जरूरतें पूरी नहीं होंगी. व्यापारियों ने कहा कि 100 टन गेहूं की मात्रा के नियम से केवल बिचौलिये ही लाभ ले पाएंगे. इन सभी बातों पर ध्यान देने के बाद सरकार ने व्यापारियों को नीलामी से बाहर कर दिया है. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.

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