सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है. पीले रंग के इसके बड़े-बड़े फूल बेहद खूबसूरत दिखाई देते हैं. हालांकि पहले इन फूलों का इस्तेमाल सजावट के लिए किया जाता था, लेकिन अब इसे तिलहन फसल के रूप में पहचान मिली है. इसके बाद से अधिक उत्पादन क्षमता और अच्छी कीमत के कारण किसान इसकी खेती से जुड़ते जा रहे हैं. इसी बीच तेलंगाना में सूरजमुखी की कीमतें एमएसपी यानी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के स्तर से नीचे लची गई यानी कम हो गई है. भाव MSP से कम होने के कारण राज्य सरकार ने किसानों से उनकी उपज को खरीदने की घोषणा की है. दरअसल, तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने कहा है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी और किसानों की उपज को खरीदेगी.
सूरजमुखी की फसल 6,760 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से नीचे बेचे जाने की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, मंत्री ने टीएस मार्कफेड (तेलंगाना राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड) को उपज खरीदने के निर्देश दिए है. आपको बता दें कि मार्कफेड कृषि और अन्य उत्पादों की मार्केटिंग करता है. ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके, खासकर तब जब कीमतें एमएसपी स्तर से नीचे चल रही हों.
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देश में 2023-24 के खरीफ सीजन में सूरजमुखी क्षेत्र में 64 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई है, जो अगस्त 2023 तक 0.66 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले वर्ष में 1.85 लाख हेक्टेयर था. ऐसे में जिन किसानों ने इस साल खरीफ क्षेत्र में भारी गिरावट को देखते हुए बेहतर कीमतों की उम्मीद में रकबा बढ़ाया था, वे निराश हो गए हैं क्योंकि कीमतें एमएसपी स्तर से नीचे गिरने लगीं है. ऐसे में किसानों ने आरोप लगाया कि कीमतें 4,000 रुपये से नीचे गिर गई है, जिससे उन्हें नुकसान की आशंका है. साथ ही किसान नाखुश भी हैं.
सरकार के निर्देश के बाद मार्कफेड सूरजमुखी उत्पादक क्षेत्रों में अलग-अलग यार्डों में खरीद केंद्र खोलेगा. जिससे किसान अपनी उत्पादों को बेहतर दाम पर बेच सकें. वहीं राज्य सरकार को गर्मी के मौसम में लगभग 17,000 टन सूरजमुखी के उत्पादन की उम्मीद थी. लेकिन राज्य में इस सीजन में किसानों ने 8,650 हेक्टेयर में फसल उगाई, जबकि सामान्य क्षेत्रफल 7,900 हेक्टेयर है.
तेलंगाना राज्य सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 में सूरजमुखी का उत्पादन 0.07 लाख टन से 0.13 लाख टन और उत्पादकता 1,745 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी. सूरजमुखी की खेती 2022-23 में पिछले वर्ष के 2,996 हेक्टेयर के मुकाबले 3,093 हेक्टेयर तक की गई है.