प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य देश के सभी किसानों को बिजली की समस्या से निजात दिलाना है. ग्रामीण इलाकों में आज भी बिलजी की समस्या एक मुख्य समस्या है जिसका समाधान देश के अन्नदाताओं के लिए बेहद जरूरी है. बिलजी पर ही सिंचाई से लेकर खेती-बाड़ी का अन्य काम निर्भर रहता है. ऐसे में अगर बिजली की सुविधा ना हो तो किसानों को पेट्रोल-डीजल का खर्चा उठाना पड़ता है. जिस वजह से किसानों का आर्थिक बोझ कहीं न कहीं बढ़ता जात है. इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना की शुरुआत की गयी थी. क्या है इस योजना से जुड़ी अन्य जानकारी आइये जानते हैं.
केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की मदद से पीएम कुसुम योजना की शुरुआत विभिन्न राज्यों में कर दी गई है. पीएम कुसुम योजना के तहत राज्य के किसानों को सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले सोलर पंप की सुविधा प्रदान की जातो है. सरकार 3 करोड़ पेट्रोल और डीजल सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा पंपों में बदलने की तैयारी में लगी हुई है. ऐसे में जो भी किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं उन्हें आवेदन प्रक्रिया को पूरा करना होगा. इससे जुड़ी और जानकारी उम्मीदवार अपने राज्य के कृषि और ऊर्जा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं.
कुसुम योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा अगले 10 वर्षों में 17.5 लाख डीजल पंपों और 3 करोड़ कृषि पंपों को सौर पंपों में बदलने का लक्ष्य रखा गया है. राजस्थान के किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण योजना है. यहां बिजली के साथ-साथ पानी की भी भीषण समस्या है. ऐसे में राज्य के किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाने और सोलर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 50 हजार करोड़ रुपये के शुरुआती बजट का आवंटन किया गया है.
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कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने पीएम कुसुम योजना 2023 के तहत अपने किसानों को बंपर सब्सिडी पर सोलर पंप देने की घोषणा की थी. 20 अक्टूबर 2022 को लखनऊ, सहारनपुर, मेरठ, अयोध्या, अलीगढ़ और गोरखपुर मंडलों में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप बांटे गए थे.
इस योजना के तहत आवेदक को सोलर पंप के लिए आवेदन करने के लिए 5000 रुपये प्रति मेगावॉट की दर से आवेदन शुल्क और जीएसटी का भुगतान करना होगा. यह भुगतान प्रबंध निदेशक के नाम डिमांड ड्राफ्ट के रूप में किया जायेगा. 0.5 मेगावॉट से 2 मेगावॉट तक के आवेदन के लिए आवेदन शुल्क इस प्रकार है.
मेगा वाट | आवेदन शुल्क |
0.5 मेगावाट | 2500+ जीएसटी |
1 मेगावाट | 5000 + जीएसटी |
1.5 मेगावाट | 7500+ जीएसटी |
2 मेगावाट | 10000+ जीएसट |
किसान दो तरह से इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. पहला, जिन किसानों के पास डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप हैं, वे उन्हें सोलर पंप में बदल सकते हैं या अपने खेतों में सोलर प्लांट लगा सकते हैं. इस सोलर प्लांट से किसान अपने सिंचाई कार्य के लिए मुफ्त बिजली प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, अतिरिक्त बिजली का उत्पादन कर आप उसे बिजली कंपनी को बेचकर पैसा कमा सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस सोलर प्लांट से बिजली पैदा करके और उसे बेचकर किसान प्रति वर्ष 80,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा किसानों को सोलर पंप की लागत पर 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है.