गांव के लोगों की डीजल और पेट्रोल की जरूरत अब और आसानी से पूरी हो सकेगी. दरअसल, गांव और कस्बा स्तर पर स्थापित प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को डीजल-पेट्रोल की बिक्री के लिए आउटलेट के रूप में विकसित किया जा रहा है. 25 राज्यों से 286 पैक्स के आवेदन पहुंचे हैं कि वह फ्यूल बिक्री करने के लिए इच्छुक हैं. सरकार ने इन समितियों को पेट्रोल और डीजल पंपों की डीलरशिप लेने की अनुमति दे दी है.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद को बताया कि अब तक 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 286 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) ने खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट स्थापित करने के लिए आवेदन किया है. राज्यसभा को दिए लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि 4 राज्यों की 109 समितियों ने अपने कंज्यूमर पंपों को खुदरा आउटलेट में बदलने पर सहमति व्यक्त की है, जिनमें से 45 को पहले ही तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) से लेटर मिल चुके हैं.
पैक्स को और कंज्यूमर पंपों को डीजल-पेट्रोल आउलेट बनाने की पहल से रेवेन्यू बढ़ाने में और उनकी वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी. इससे PACS को मजबूत करने में मदद मिलेगी. यह खुदरा दुकानों के संचालन और प्रबंधन के जरिए ग्रामीण युवाओं के लिए महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर भी पैदा करती है. इससे दूर-दराज के ग्रामीण लोगों को कृषि कार्यों के लिए डीजल-पेट्रोल की जरूरत में लगने वाले समय में भी कमी आएगी.
सहकारिता मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन को अधिक सुलभ बनाकर पैक्स स्थानीय आर्थिक विकास में योगदान करते हैं. ऐसी सेवाओं के लिए शहरी केंद्रों पर निर्भरता को कम भी करते हैं. सरकार ने इन समितियों को पेट्रोल और डीजल पंपों की डीलरशिप लेने की अनुमति दे दी है और तेल मार्केटिंग कंपनियों ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. उन्हें अपने होलसेल कंज्यूमर पंपों को खुदरा दुकानों में बदलने का विकल्प भी दिया है.
सहकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पैक्स को कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में भी विकसित किया गया है. ताकि सामान्य सेवा केंद्रों के जरिए दी जाने वाली सेवाओं को आसानी से ग्रामीण आबादी को उपलब्ध कराया जा सके. पैक्स के जरिए किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण, कृषि कार्यों के लिए लोन, पशुओं की दवाएं, सरकारी योजनाओं और बैंकिंग समेत कई तरह की सेवाएं ग्रामीण इलाकों में दी जा रही हैं. पैक्स पर बैंकिंग, गैस एजेंसी, जन औषधि केंद्र, अनाज खरीद, अनाज भंडारण, खाद-बीज वितरण, खेती से जुड़े दस्तावेज अपडेट और सीएससी की सेवाओं समेत 27 तरह की सेवाओं का लाभ ग्रामीणों को मिलना शुरू हो गया है.