दालों की खेती के लिए सरकार और किसानों में हुई डील, कमाई बढ़ाने का पूरा प्लान तैयार

दालों की खेती के लिए सरकार और किसानों में हुई डील, कमाई बढ़ाने का पूरा प्लान तैयार

भारत में दालों की खपत के अनुरूप उत्‍पादन नहीं हो रहा है. यही वजह है कि पि‍छले कुछ सालों में बाहर देशों से दाल आयात की जा रही है. ऐसे में सरकार ने उन राज्‍यों में एनसीसीएफ के माध्‍यम से किसानों के साथ सीधे दालों की अनुबंध खेती का समझौता किया है, जहां किसान परंपरागत रूप से दाल की खेती करने के बचते हैं. इससे दलहन आर्पूति में निर्भरता बढ़ने के साथ ही किसानों की कमाई भी बढ़ेगी.

NCCF और किसानों के बीच दालों की खेती का सीधा सौदा. (सांकेतिक फोटो)NCCF और किसानों के बीच दालों की खेती का सीधा सौदा. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 01, 2024,
  • Updated Nov 01, 2024, 11:29 AM IST

आमतौर पर सरकार किसानों से सीधे कोई सौदा नहीं करती है, लेकिन पहली बार दाल उत्‍पादन के लिए कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग (अनुबंध) खेती करने जा रही है. बता दें कि तमिलनाडु, बिहार, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों में 1,500 हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर और मसूर की खेती के लिए कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग यानी अनुबंध खेती का सौदा हुआ है, जिसमें किसानों ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) के साथ समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं. इस डील का उद्देश्‍य इन राज्‍यों में दालों की खेती को बढ़ावा देकर दलहन उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता हा‍सिल करना है. वहीं, इससे किसानों की कमाई भी बढ़ेगी.

हाई रेट पर दाल खरीदेगी सरकार

उक्‍त राज्‍यों के किसान सामान्‍यत: परंपरागत रूप से दलहन फसलों की खेती में रुचि नहीं लेते हैं, इसलिए समझौता कर इनका चयन किया गया है. एजेंसी सरकार के बफर स्टॉक के लिए उत्‍पादन का एक हिस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या मार्केट रेट पर खरीदेगी. इसमें किसानों को अध‍िकतम कीमत का फायदा मिलेगा यानी एमएसपी ज्‍यादा होने पर एमएसपी की कीमत दी जाएगी. वहीं, अगर बाजार मूल्‍य ज्‍यादा हुआ तो वह कीमत दी जाएगी.

ये भी पढ़ें - फसल पैदावार और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देंगे 3 संस्थान, किसानों की लागत घटेगी मुनाफा बढ़ेगा

निजी कंपनियों को दाल बेच रहे किसान

एक बयान के मुताबिक, इस साल बफर स्टॉक के हिसाब से खरीद की मात्रा अध‍िक नहीं होगी, लेकिन संभावना है क‍ि आगामी सालों में जब कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग के तहत अधिक क्षेत्र में दलहन उत्‍पादन होगा तो खरीद की मात्रा बढ़ेगी. बता दें कि सरकार ने रजिस्‍टर्ड दाल उत्पादकों से पूरी उपज खरीदने की प्रतिबद्धता दिखाई है, लेकिन इसके बाद भी सरकारी एजेंसियां खरीद लक्ष्यों पूरा नहीं कर पा रही हैं. इसमें पीछे मुख्‍य कारण दालों का उत्पादन में कम होना है, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और निजी कंपनियां किसानों को ज्‍यादा कीमत देकर उपज खरीद रहीं हैं. 

दालों का आयात बढ़ा

मालूम हो कि पिछले साल से ही दालों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं. अनियमित बारिश के चलते लगातार दो साल तक फसल क्षेत्र कम हुआ है, जिसकी वहज से सरकार को घरेलू सप्‍लाई बढ़ाने के लिए इंपोर्ट बैन हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, सरकार ने कहा है कि वह MSP या बाजार मूल्य (दोनों में जो अध‍िक हो) पर अरहर, उड़द और मसूर की असीमित मात्रा में खरीदी करेगी. इसके लिए किसानों को पोर्टल पर रजिस्‍ट्रेशन करना अनिवार्य होगा.

सरकारी आंकड़ों के मुजाबिक, पिछले कुछ सालों में दालों का इंपोर्ट काफी बढ़ गया है. वित्त वर्ष 2023-24 में 4.7 मिलियन टन दाले आयात की गई. बता दें कि भारत में वर्तमान दालों की अनुमानित सालाना खपत लगभग 27 मिलियन टन है. भारत मोजाम्बिक, तंजानिया, मलावी और म्यांमार से मुख्‍य तौर पर अरहर और कनाडा, रूस, ऑस्ट्रेलिया और तुर्की से मसूर इंपोर्ट करता है.

MORE NEWS

Read more!