ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत अब पानी की सुरक्षा को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया है, जिसके तहत पानी के संकट वाले ग्रामीण ब्लॉकों में इससे जुड़े काम को प्राथमिकता देने के लिए महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम, 2005 की अनुसूची में बदलाव किया है. इस नए बदलाव के तहत पानी की कमी से जूझते ग्रामीण ब्लॉकों में पानी बचाने और जमा करने के काम पर कम से कम खर्च को अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने का फैसला लिया गया है.
यह घोषणा केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को की. उन्होंने इस नीतिगत बदलाव को भारत की जल सुरक्षा के लिए एक "गेम-चेंजर" और विज़न 2047 को हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "जल जीवन और हमारे भविष्य का आधार है." "पहली बार, हम एक नीतिगत पहल कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पानी के संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया जाए. यह हमारी भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा का एक राष्ट्रीय संकल्प है."
महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम, 2005 की अनुसूची-I, पैरा 4(2) में संशोधन कर पानी से जुड़े काम पर कम से कम खर्च अनिवार्य कर दिया गया है.
यह नीतिगत आवंटन यह सुनिश्चित करेगा कि संसाधन उन क्षेत्रों में पहुंचाए जाएं जहां उनकी सबसे अधिक जरूरत है. भविष्य में लंबे समय के लिए जल प्रबंधन की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे.
यह नीतिगत बदलाव पिछले 11 वर्षों (2014 से) में ग्रामीण विकास और जल संरक्षण में मनरेगा की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर आधारित है. इस अवधि के दौरान, यह योजना लगभग ₹8.4 लाख करोड़ के खर्च और 3000 करोड़ से अधिक मानव-दिवस रोजगार बनाने के साथ दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम बन गई है. इसमें महिलाओं की भागीदारी 2014 के 48% से बढ़कर 2025 में 58% हो गई है.
इस योजना के तहत, कृषि तालाबों, चेकडैम और सामुदायिक तालाबों जैसे 1.25 करोड़ से अधिक पानी बचाने की संपत्तियां बनाई गई हैं. इन प्रयासों के ठोस रिजल्ट सामने आए हैं, और पानी कमी से जूझते ग्रामीण ब्लॉकों की संख्या में कमी आई है. इसके अलावा, मिशन अमृत सरोवर के तहत, पहले चरण में 68,000 से अधिक जलाशयों का निर्माण या मरम्मत किया गया है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने इस घोषणा का समर्थन करते हुए योजना को मजबूती से अमल में लाने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा, "हमारी जिम्मेदारी इस नीति को कागजों से जमीनी स्तर पर ले जाना है. मैं सभी राज्य सरकारों और पंचायत प्रतिनिधियों से इसे मिशन मोड में लागू करने का आग्रह करता हूं."
केंद्रीय मंत्री ने सभी नागरिकों से इसमें भाग लेने का आग्रह करते हुए, कार्रवाई का आह्वान किया. उन्होंने कहा, मैं ग्राम पंचायतों, युवाओं, महिला समूहों और सभी स्वयंसेवकों से अपील करता हूं कि वे इस पहल को एक सरकारी कार्यक्रम से जन-आंदोलन बनाएं.