उत्तराखंड किसान मोर्चा के बैनर तले रुड़की में जॉइंट मजिस्ट्रेट के कार्यालय पर 36 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को हरिद्वार कलेक्ट्रेट पहुंचकर महापंचायत की. किसानों का कहना है कि उनकी 36 दिन में रुड़की में कोई सुनवाई नहीं हुई. वे वहां सरकार को ढूंढ रहे हैं लेकिन 36 दिन में सरकार उनको रुड़की में नहीं मिली, इसलिए वे हरिद्वार कलेक्ट्रेट पहुंचे हैं. किसानों ने कहा कि अगर यहां भी सरकार नहीं मिलती है तो वे सरकार को ढूंढने देहरादून जाएंगे. देहरादून भी सरकार नहीं मिली तो दिल्ली जाएंगे. जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, न वे खुद चैन से बैठेंगे और न सरकार को चैन से बैठने देंगे. किसान देहात क्षेत्र में स्मार्ट मीटर न लगाने और इकबालपुर चीनी मिल पर किसानों के बकाये के 110 करोड़ रुपये के भुगतान की मांग कर रहे हैं.
उत्तराखंड किसान मोर्चा के अध्यक्ष गुलशन रोड का कहना है कि किसान मोर्चा किसानों की समस्याओं को लेकर लगभग 36 दिन से जॉइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय रुड़की पर अनिश्चितकालीन धरना कर रहा है. किसानों की मांग यह है कि हरिद्वार के देहात क्षेत्र में स्मार्ट मीटर न लगाया जाए क्योंकि हरिद्वार एक किसान बाहुल्य क्षेत्र है और किसान बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है. गन्ने की फसल साल भर के बाद आती है. ऐसे में किसान हर महीने या 30 दिन में स्मार्ट मीटर को रिचार्ज नहीं करवा पाएगा. गुलशन रोड ने कहा, हम सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि जिस तरीके से फरवरी मार्च में पहले किसान अपने बिल जमा करता था, इसी तरह फरवरी मार्च में बिल जमा करता रहे.
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दूसरी मांग है कि किसानों का इकबालपुर शुगर मिल पर 110 करोड़ रुपये का बकाया चला आ रहा है. बकाया लगभग 6 सालों से है और सरकार-प्रशासन सोया हुआ है. रोड ने आरोप में कहा कि चीनी मिल मालिकों से मिलकर किसानों का 110 करोड़ रुपये सरकार ने रोक रखा है. जब तक यह पैसा नहीं मिलेगा किसान आंदोलन करता रहेगा. हमारी तीसरी मांग है कि बडेडी पर नेशनल हाईवे बनकर आ रहा है, इसलिए बडेडी के सामने अंडरपास दिया जाए. बडेडी के पास अंडरपास न देकर 2 किलोमीटर दूर रामदेव के आश्रम के पास अंडरपास देने की बात हो रही है. ऐसे में देहात क्षेत्र में झोटा, बुग्गी, ट्रैक्टर ट्राली से गन्ना डालता है उसे तीन-चार किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ेगा. इन तमाम मुद्दों को लेकर किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है.
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किसान नेता ने कहा कि जब रुड़की में हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई तो किसान कलेक्ट्रेट में बड़ी संख्या में पहुंचे हैं. जब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो जाएगा, धरना यूं ही चलता रहेगा. सरकार को ढूंढते-ढूंढते 36 दिन तो रुड़की में बैठे रहे. सरकार को ढूंढने के लिए हरिद्वार में पहुंचे हैं. अगर सरकार हमें यहां भी नहीं मिली तो ढूंढते-ढूंढते देहरादून जाएंगे. देहरादून नहीं मिली तो दिल्ली जाएंगे, पर सरकार को ढूंढ कर रहेंगे. न चैन से बैठेंगे न चैन से सरकार को बैठने देंगे. हमारे पास जो भी अधिकारी आएगा उससे बात होगी और उस पर किसान कमेटी अपना निर्णय लेगी कि आगे क्या करना है. किसान महापंचायत में आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला लिया जाएगा.(मुदित अग्रवाल की रिपोर्ट)