GST की तरह राज्यों के कृषि मंत्रियों का भी पैनल बनाएं, तब बढ़ेगी किसानों की आय

GST की तरह राज्यों के कृषि मंत्रियों का भी पैनल बनाएं, तब बढ़ेगी किसानों की आय

कृषि मंत्रालय के एक ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है कि कृषि मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक मार्केटिंग रिफॉर्म कमेटी बना सकता है जिसमें राज्यों के कृषि मंत्री शामिल होंगे. जिस तरह जीएसटी पैनल में राज्यों के वित्त मंत्रियों को रखा गया है, उसी तरह एग्रीकल्चर मार्केटिंग के लिए राज्यों के कृषि मंत्रियों का पैनल बनाया जा सकता है.

लखनऊ में लहसुन के थोक कारोबारी शारिक (Photo- Kisan Tak)लखनऊ में लहसुन के थोक कारोबारी शारिक (Photo- Kisan Tak)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 03, 2024,
  • Updated Dec 03, 2024, 12:01 PM IST

कृषि मंत्रालय की एक कमेटी ने कृषि मार्केटिंग में सुधार के लिए जीएसटी की तरह पैनल बनाने का सुझाव दिया है. जिस कमेटी ने यह सुझाव दिया है, उस कमेटी को कृषि मंत्रालय ने ही बनाया है. दरअसल, जीएसटी पैनल में अलग-अलग राज्यों के वित्त मंत्रियों को रखा गया है. ये वित्त मंत्री टैक्स से संबंधित अपने अहम सुझाव देते हैं. ठीक उसी तरह, कृषि मार्केटिंग को मजबूत बनाने के लिए जीएसटी की तरह पैनल बनाने का सुझाव दिया गया है. इस पैनल में राज्यों के कृषि मंत्रियों को रखने का प्रस्ताव दिया गया है.

जिस कमेटी ने यह सुझाव दिया है, उसकी अध्यक्षता कृषि मंत्रालय के एडिश्नल सेक्रेटरी (मार्केटिंग) फैज अहमद किदवई करते हैं. इस सुझाव को 'नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चरल मार्केटिंग' के ड्राफ्ट में शामिल किया गया है. इस ड्राफ्ट को बनाने के लिए कृषि मंत्रालय ने 25 जून को कमेटी गठित की थी जिसकी अध्यक्षता फैज अहमद किदवई कर रहे हैं. ड्राफ्ट पर आम लोगों की राय पहले ही मांगी जा चुकी है. 'इंडियन एक्सप्रेस' ने इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की है.

क्या है कमेटी का सुझाव

कमेटी ने कहा कि कृषि मार्केटिंग में सुधार के लिए कृषि मंत्रालय दो दशकों से अधिक समय से राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है. जिसका उद्देश्य कृषि मार्केटिंग को हर तरह की बाधा से मुक्त और पारदर्शी बनाना है ताकि फसल की कटाई के बाद प्रबंधन और मार्केटिंग के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जा सके. कृषि मंत्रालय कृषि उपज के लिए एक यूनिफाइड राष्ट्रीय कृषि बाजार बनाने के लिए भी वर्षों से प्रयास कर रहा है.

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ड्राफ्ट में कहा गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर संतोषजनक रिजल्ट नहीं मिले हैं और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए जिस तरह के मार्केट की सुविधा होनी चाहिए, वैसी नहीं दी जा सकी है. इसके पीछे राज्यों के कड़े नियम कानून और मकसद हासिल करने के लिए जुनून की कमी जिम्मेदार है. इसलिए राज्यों के बीच कृषि मार्केटिंग के मुद्दे पर सहमति बनाने और इस दिशा में इच्छाशक्ति को बढ़ाने की जरूरत है.

नेशनल मार्केट बनाने की मांग

ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है कि कृषि मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक मार्केटिंग रिफॉर्म कमेटी बना सकता है जिसमें राज्यों के कृषि मंत्री शामिल होंगे. जिस तरह जीएसटी पैनल में राज्यों के वित्त मंत्रियों को रखा गया है, उसी तरह एग्रीकल्चर मार्केटिंग के लिए राज्यों के कृषि मंत्रियों का पैनल बनाया जा सकता है. 

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यह पैनल राज्यों के एपीएमसी एक्ट में सुधार के लिए प्रावधान बना सकता है और इसे राज्यों से परामर्श के बाद लागू कराया जा सकता है. इससे यूनिफाइड नेशनल मार्केट बनाने में मदद मिलेगी जहां एक लाइसेंस या एक रजिस्ट्रेशन सिस्टम और एक बार की फीश में किसान अपने कृषि उपजों को बेच सकते हैं. कृषि मंत्रालय की कमेटी ने अपने ड्राफ्ट में सरकार के लिए यह सुझाव दिया है.

 

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