खेती के पारंपरिक तरीकों से किसान को एक एकड़ में दो फसल उगाने के बाद मुश्किल से 90 हजार से 1 लाख रुपये तक की कमाई हो पाती है. लेकिन, अगर किसान नई तकनीकों का इस्तेमाल कर नई फसलों की खेती करें तो अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. मौजूदा समय में फूलों की खेती विशेष रूप से जरबेरा फूल की खेती एक अच्छी आय का जरिया है. जरबेरा की कट फ्लावर के रूप में मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे आधा एकड़ खेती से सालाना 12 से 15 लाख रुपये तक की कमाई संभव हो सकती है. भारत सरकार का राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) हाई-टेक बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाता है. जरबेरा की खेती में शुरुआती निवेश थोड़ा ज्यादा होता है, लेकिन एक बार निवेश करके 5 साल कमा सकते है, क्योंकि जरबेरा की खेती के लिए पॉलीहाउस पौधों को प्रतिकूल मौसम से बचाता है और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करता है.
अगर कोई किसान पॉली हाउस में जरबेरा की खेती करना चाहता है, तो उन्हें 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी और बैंक लोन की सुविधा मिल सकती है. इसके लिए NHB किसानों को मार्गदर्शन भी देता है. जरबेरा की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प साबित हो सकती है. जरबेरा की खेती लगभग हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी भुरभुरी और जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसके लिए मिट्टी का Soil Sterilization जरूरी है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया, फंगस और कीट समाप्त हो जाएं.
जरबेरा के लिए 1.0-1.2 मीटर चौड़ा और 25-30 सेमी ऊंचा बेड बनाए जाते हैं और बेड के बीच 30 सेमी का रास्ता छोड़ा जाता है. रोपाई से एक सप्ताह पहले हल्की सिंचाई करें. इसके बाद प्रति 20 वर्ग मीटर में 5 किलो एसएसपी, 400 ग्राम बायोजाइम, 400 ग्राम ह्यूमिगार्ड और 1 किलो मैग्नीशियम सल्फेट का उपयोग करें. पौधों को दो लाइनों में 30 सेमी की दूरी पर लगाएं. प्रति वर्ग मीटर 6-7 पौधे लगाएं जाते है.
पहले तीन महीनों में स्टार्टर ग्रेड उर्वरक का इस्तेमाल किया जाता है, इसमे NPK को 15:8:35 अनुपात में 0.4 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से एक दिन छोड़कर दिया जाता है. सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कॉम्बी-2, माइक्रोस्कोप बी, रेक्सोलिन, सीक्वल और महाब्रेक्सिल का 40 ग्राम प्रति 1000 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव किया जाता है. खरपतवारों को समय-समय पर हटाएं. जरूरत के अनुसार, कीटनाशकों और फफूंद नाशकों का इस्तेमाल करें. जरबेरा मेनिमेटोड की समस्या से बचने के लिए कार्बोफ्यूरान या फोरेट का इस्तेमाल करना चाहिए
रोपाई के 3 महीने बाद फूलों की कटाई शुरू हो जाती है. जब फूल में 2-3 पंखुड़ियां पूरी तरह से विकसित हो जाएं तो 45-55 सेमी लम्बी डंठल सहित फूल काटें. कटाई सुबह या शाम को करें. एक पौधा सालाना 45 फूल देता है. आधा एकड़ में 12000 पौधे लगाकर 5 लाख फूल प्राप्त किए जा सकते हैं. बाजार में एक फूल की कीमत 8 से 10 रुपये तक होती है. इससे सालाना 10-15 लाख रुपये की शुद्ध कमाई हो सकती है. इस तरह बेहतर प्रबंधन करके पांच साल तक पैसे कमा सकते हैं.
अगर किसान पॉली हाउस तकनीक और आधुनिक प्रबंधन प्रणाली अपनाते हैं तो वे लगातार 5 वर्षों तक फूलों का उत्पादन कर सकते हैं. उचित देखभाल और प्रबंधन के साथ यह खेती पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुना अधिक मुनाफा दिला सकती है, लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी बातें है. एनएचबी से पॉलीहाउस लगाने के लिए लोन और सब्सिडी की जानकारी हासिल करें. मिट्टी की जांच कराकर सही उर्वरकों का इस्तेमाल करें. नियमित रूप से कीट और रोग प्रबंधन करें. फूलों की कटाई और मार्केटिंग के लिए उचित योजना बनाएं.