किसानों के लिए अब कृषि लोन लेना बहुत ही आसान होने वाला है. दरअसल, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (nabard) ने चेन्नई स्थित 24X7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग के सहयोग से ग्रामीण बैंकिंग संस्थाओं के लिए ई किसान क्रेडिट पोर्टल तैयार किया है, ताकि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारकों को लोन तुरंत और समय पर दिया जा सके. ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए इस पोर्टल के माध्यम से किसान बैंक जाए बिना ही लोन का आवेदन जमा कर सकेंगे.
वर्तमान में, किसानों को कृषि लोन मंजूर करवाने के लिए कई बार बैंक जाना पड़ता है. 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' को नाबार्ड के डिप्टी एमडी अजय सूद ने बताया कि "डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके, केसीसी धारकों को कृषि लोन कम समय में जारी किया जा सकता है." सूद के अनुसार, छह राज्यों में ई-केसीसी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लोन की मंजूरी के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है, जिसे जल्द ही बढ़ाया जाएगा.
ई-केसीसी पोर्टल डिजिटल भूमि रिकॉर्ड के लिए रिजर्व बैंक इनोवेशन हब के एकीकृत लोन इंटरफेस का उपयोग करता है. साथ ही किसानों को लोन मंजूर करने के लिए आधार प्रमाणीकरण, ई-केवाईसी, ई-साइन और आधार डेटा वॉल्ट के लिए मदद करता है. वहीं, बैंकिंग अधिकारियों ने कहा कि केसीसी धारकों के लिए पुरानी लोन प्रक्रिया 'कठिनाइयों से भरी हुई' है, जैसे किसानों को कई बार बैंक जाना पड़ता है, 3-4 सप्ताह का लंबा समय लगता है और मुख्य रूप से कागज-आधारित प्रक्रियाएं होती हैं.
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अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में सभी आरसीबी और आरआरबी को शामिल करने का काम चल रहा है. साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर केसीसी जारी करने का काम भी जारी है. एक आधिकारिक नोट के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों ने डिजिटल परिवर्तन में महत्वपूर्ण प्रगति की है. वहीं, ग्रामीण बैंक अक्सर लागत और सीमित तकनीकी क्षमता के कारण पिछड़ जाते हैं.
नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी ने हाल ही में कहा, "ई-केसीसी ने कृषि लोन वितरण में पहुंच, पारदर्शिता में सुधार करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है. इससे सहकारी बैंकों, पैक्स और आरआरबी को छोटे और सीमांत किसानों को तेज, पारदर्शी और अधिक समावेशी लोन सेवाएं देने में मदद मिलेगी."
अधिकारियों ने कहा कि इसका उद्देश्य डेयरी और मछली पालन के लिए लोन उत्पादों, राष्ट्रीय मछली पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म और स्वचालित ब्याज सब्सिडी के लिए कृषि मंत्रालय के किसान लोन पोर्टल के एकीकरण को शामिल करके पोर्टल को एक व्यापक कृषि-लोन मंच के रूप में विकसित करना है. इसके अलावा अधिकारियों ने बताया कि केसीसी एक बैंकिंग उत्पाद है, जो किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशकों सहित कृषि इनपुट खरीदने के साथ-साथ फसल उत्पादन से संबंधित नकदी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समय पर और किफायती लोन उपलब्ध कराता है.
बता दें कि देश में वर्तमान में लगभग 8 करोड़ एक्टिव केसीसी धारक हैं, इसमें क्रमशः मछली पालन और पशुपालन के लिए जारी किए गए 1.24 लाख और 4.5 करोड़ केसीसी शामिल हैं. कृषि मंत्रालय की संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत, केसीसी धारक किसानों को खेती से जुड़ी लागत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 7 फीसदी ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है. हालांकि, वित्त वर्ष 2026 के लिए, सरकार ने कृषि-लोन सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना कर दिया है.