केंद्र सरकार ने कहा है कि वह खुले मार्केट में गेहूं और चावल की बिक्री जारी रखेगी. सरकारी स्टॉक में जमा गेहूं और चावल की बिक्री नीलामी के जरिये की जाएगी. सरकार की यह कोशिश इसलिए चल रही है क्योंकि बाजार में गेहूं और चावल की मंहगाई को कम किया जा सके. हाल के महीनों में इन दोनों अनाजों की महंगाई बढ़ी है जिससे आम लोग परेशान हुए हैं. गेहूं महंगा होने से आटे का दाम बढ़ गया. इसे कम रखने के लिए सरकार ने 'ओपन मार्केट सेल्स स्कीम' (OMSS) शुरू की है. इस स्कीम में सरकार नीलामी के जरिये खुले बाजार में सस्ती दर पर गेहूं-चावल बेचती है ताकि आम लोगों तक पहुंचने वाला अनाज सस्ते में मिल सके. सरकार ने कहा है कि ओएमएसएस के माध्यम से हर एक हफ्ते बाद बाजार में गेहूं और चावल की नीलामी की जाएगी.
सरकार ने यह भी कहा है कि राज्यों को एफसीआई से अनाजों का जितना कोटा मिलता है, उतना ही मिलेगा. राज्यों को अतिरिक्त अनाज नहीं दिया जाएगा क्योंकि उसे खुले बाजार में गेहूं और चावल की बिक्री करनी है. केंद्र की ओर से राज्यों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सेंट्रल वेलफेयर स्कीम में अनाज दिया जाता है. केंद्र ने कहा है कि इन दोनों स्कीम के अलावा राज्यों को अतिरिक्त अनाज की सप्लाई नहीं की जाएगी.
इस बारे में जानकारी देते हुए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी कि FCI के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक कुमार मीणा ने कहा कि सरकार ने इस पूरे साल ओपन मार्केट सेल्स स्कीम को जारी रखने का फैसला किया है. इसके लिए केंद्र को अधिक से अधिक अनाज की जरूरत होगी. इसीलिए राज्यों को अतिरिक्त अनाज की सप्लाई करना मुश्किल होगा.
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केंद्र सरकार अलग-अलग स्कीमों के लिए गेहूं और चावल की खरीद करती है. यह काम एफसीआई के जरिये किया जाता है. इस साल गेहूं खरीद का काम पूरा हो चुका है. अभी तक जितनी खरीद हुई है उसे मार्च 2024 तक मैनेज करना होगा क्योंकि गेहूं की अगली फसल अप्रैल में ही निकल पाएगी. उधर खरीफ चावल की सरकारी खरीद अक्टूबर से शुरू होगी जिसे सेंट्रल पुल में भेजा जाएगा. अभी यह कहना मुश्किल होगा कि इस साल चावल की कितनी खरीद होगी क्योंकि धान की रोपाई कुछ दिन पहले ही शुरू हुई है. रोपाई भी ऐसे समय में हो रही है जब मॉनसून में देरी है और बारिश कम है.
सरकार का कहना है राज्यों में गेहूं और चावल की खपत के हिसाब से खुले बाजारों में अनाजों की बिक्री की जाएगी. जिस राज्य में खपत अधिक होती है, वहां नीलामी अधिक की जाएगी. सरकार ने यह भी कहा है कि ओपन मार्केट स्कीम में जमाखोरी या कालाबाजारी की गुंजाइश नहीं है क्योंकि प्रति कंपनी या प्रति व्यापारी अधिकतम 100 टन अनाज खरीदने की सीमा तय की गई है. सरकार इस मात्रा पर भी निगरानी रखेगी ताकि बाजार में अनाजों की आवक लगातार बनी रहे.
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सरकार का कहना है कि जब से ओपन मार्केट सेल्स स्कीम शुरू की गई है तब से मंडियों में गेहूं के दाम में गिरावट आई है. दाम में गिरावट इसलिए भी है क्योंकि सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट भी तय कर दी है. 14 जून को मंडी में गेहूं का औसत भाव 2268 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि एक हफ्ते पहले यही दर 2302 रुपये हुआ करती थी. इसी तरह गेहूं का खुदरा भाव भी पहले से गिरा है. हालांकि अभी भी यह 29 रुपये के आसपास चल रहा है. होलसेल दाम 2603 रुपये से गिरकर 2594 रुपये हो गया है.