हर‍ियाणा में भू-जल रिचार्जिंग के ल‍िए बनेगी नई योजना, क‍िसानों को म‍िलेगी सब्सिडी

हर‍ियाणा में भू-जल रिचार्जिंग के ल‍िए बनेगी नई योजना, क‍िसानों को म‍िलेगी सब्सिडी

Agriculture Scheme: हर‍ियाणा सरकार एक ऐसी स्कीम बना रही है ज‍िसके तहत किसान अपने खेत में भू-जल रिचार्जिंग के लिए बोरवेल लगा सकेंगे. इस पर सब्सिडी म‍िलेगी. पानी बचाने के ल‍िए पहले से ही सरकार माइक्रो इरीगेशन पर दे रही है 85 फीसदी सब्स‍िडी. 

खेती में सबसे ज्यादा ग्राउंड वाटर की खपत होती है (Photo-IARI). खेती में सबसे ज्यादा ग्राउंड वाटर की खपत होती है (Photo-IARI).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jan 13, 2023,
  • Updated Jan 13, 2023, 7:48 AM IST

भू-जल संकट से जूझ रहे हर‍ियाणा में अब पानी की बचत को लेकर राज्य सरकार जल्द ही एक नई योजना लेकर आएगी. जिसके तहत भू-जल रिचार्जिंग के लिए किसान अपने खेत में बोरवेल लगा सकेंगे. राज्य सरकार इस पर सब्सिडी देने का प्रावधान बनाएगी. इसके लिए जल्द ही योजना का खाका तैयार किया जाएगा. तीन साल तक उस बोरवेल का रखरखाव भी किसान ही करेंगे. दरअसल, भू-जल बचाने के ल‍िए सरकार किसानों से इसल‍िए ज्यादा उम्मीद कर रही है क्योंक‍ि 90 फीसदी ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में होता है. अगर पानी नहीं बचा तो आने वाली पीढ़‍ियां कैसे खेती कर पाएंगी. 

पानी की ज्यादातर खपत धान और गन्ने जैसी फसलों में होती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक किलो चावल पैदा करने में 3000 लीटर तक पानी की जरूरत होती है. गन्ने की फसल में भी बहुत पानी लगता है. ऐसे में सरकार खासतौर पर क‍िसानों से गैर बासमती धान की खेती बंद करवाना चाहती है. इसके ल‍िए वो फसल विविधीकरण पर फोकस कर रही है. धान की खेती छोड़ने वाले क‍िसानों को प्रत‍ि एकड़ 7000 रुपये भी दे रही है. 

माइक्रो इरीगेशन पर 85 फीसदी सब्स‍िडी 

चंडीगढ़ में क‍िसानों के साथ आयोज‍ित एक बैठक में सीएम मनोहर लाल ने क‍िसानों से अपील की है क‍ि जिन इलाकों में भू-जल स्तर काफी नीचे जा चुका है, उनमें किसान माइक्रो इरीगेशन को अपनाएं. इस प्रणाली को अपनाने पर प्रदेश सरकार किसानों को 85 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान कर रही है. इतना ही नहीं, जल संसाधन प्राधिकरण हर गांव के जल स्तर का आंकलन कर रहा है. इसके लिए पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं. अब खंड के अनुसार नहीं बल्कि गांव के अनुसार भू-जल स्तर का पता लगेगा. इससे पानी बचाने में मदद म‍िलेगी. 

एक लाख एकड़ में कम हुआ धान 

राज्य सरकार ने जल संरक्षण के लिए 'मेरा पानी-मेरी विरासत' स्कीम चलाई हुई है, जिसके तहत किसानों से धान के स्थान पर कम पानी की खपत वाली फसलों की खेती को प्रमोट क‍िया जा रहा है. इस योजना में किसानों ने पूरा योगदान द‍िया है. उनकी बदौलत ही 1 लाख एकड़ धान के क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य वैकल्प‍िक फसलें उगाई गई हैं. 

इन फसलों पर फोकस 

'मेरा पानी-मेरी विरासत' स्कीम के तहत धान के स्थान पर कम पानी में उगने वाली फसलें जैसे दलहन, मक्का, बाजरा और सब्जियों आदि की खेती को प्रमोट क‍िया जा रहा है. योजना में एग्रो फारेस्ट्री को भी जोड़ा गया है. जिसके तहत धान की जगह प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाने पर प्रति वर्ष 10,000 रुपए एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का एलान क‍िया गया है. 

क‍ितना बड़ा है हर‍ियाणा का जल संकट 

हरियाणा के 36 ऐसे ब्लॉक हैं, जहां पिछले 12 वर्षों में भू-जल स्तर में गिरावट दोगुनी हो चुकी है. पहले जहां पानी की गहराई 20 मीटर थी, वहां अब 40 मीटर पर पानी म‍िल रहा है. इनमें से 11 ऐसे ब्लॉक हैं जिसमें धान की फसल नहीं होती. जबकि 8 ब्लॉकों पीपली, शाहबाद, बबैन, रतिया, सीवान, सिरसा, गुहला और ईस्माइलाबाद में ग्राउंड वाटर लेवल 40 मीटर से ज्यादा है. इनमें धान की बिजाई होती है. 

ये भी पढ़ें:  

MORE NEWS

Read more!