पूर्वी राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर पिछले कुछ वर्षों से केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (BJP) और प्रदेश की कांग्रेस सरकार के नेताओं के बीच बयानबाज़ी जारी है. इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में जमकर राजनीति भी हो रही है. इसके बीच प्रदेश में किसानों के मुद्दों को लेकर लगातार सक्रिय रही किसान महापंचायत (kisan mahapanchayat) ने इसी महीने 24 तारीख़ को जयपुर कूच की चेतावनी दी है. तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार यह कूच टोंक जिले की निवाई उपखंड मुख्यालय स्थित कृषि मंडी प्रांगण से शुरू होगा. कूच में शामिल सभी किसान 28 फरवरी को जयपुर पहुंच कर अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे. किसान खेती-बाड़ी से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे और विरोध प्रदर्शन (farmers protest) करेंगे.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू होगा. किसानों के इस कूच में टोंक जिले के अलावा सवाई माधोपुर, कोटा, बारां और झालावाड़ के किसान शामिल होंगे और जयपुर पहुंच कर अपनी मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर धरना देंगे. किसानों के इसी कूच को लेकर बुधवार को रामपाल जाट भी टोंक पहुंचे और किसानों के साथ बैठक ली. बाद में किसान प्रतिनिधि जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल को अपना चार सूत्रीय मांग पत्र सौंपा.
जिला कलेक्टर से किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि ईआरसीपी राजस्थान के कई जिलों के पानी की कमी को दूर करने के लिए बनाई गई महत्वपूर्ण परियोजना है. लेकिन दोनों पार्टियों के नेता किसानों की अनदेखी करते हैं और इस दिशा में ठोस क़दम नहीं उठा रहे हैं. किसानों ने बीजेपी और कांग्रेस नेताओं पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
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किसान प्रतिनिधियों ने ईआरसीपी के अलावा ईसरदा बांध परियोजना के विस्थापितों का मुआवजा बढ़ाए जाने, आवासन मंडल द्वारा टोंक में ली गई किसानों की कृषि भूमि को मुक्त कराए जाने और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (pm fasal bima yojana) में शीतलहर से ख़राब फसलों को व्यक्तिगत बीमा योजना में शामिल किए जाने की मांग उठाई. किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि वे अपनी इन मांगों को जयपुर में सरकार के सामने उठाएंगे.
किसान महापंचायत (kisan mahapanchayat) के अध्यक्ष रतन लाल खोखर ने कहा कि हर खेत को पानी और फसल का पूरा दाम के अलावा ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने की मांग को लेकर 24 फरवरी को किसान निवाई से जयपुर के शहीद स्मारक के लिए कूच करेंगे. पूर्वी राजस्थान के खेतों की ज़मीन को बंजर होने से बचाने के लिए इस नहर को जल्द से राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना बेहद ज़रूरी है.
राजस्थान युवा किसान महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर चौधरी ने कहा, 8 जून 2022 से हम लगातार किसान पंचायतें कर रहे हैं. ईआरसीपी का काम जल्द से जल्द शुरू हो, इसे राष्ट्रीय परियोजना भी घोषित किया जाए. हमारे यहां किसानों की ज़मीन को आवासन मंडल नें अवाप्त (लेना) किया था. बाद में वहां ज़मीन कम होने से भूमि का अधिग्रहण निरस्त घोषित कर दिया गया. रामेश्वर चौधरी ने कहा, कई वर्षों से किसान ज़मीन वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन आवासन मंडल के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं. अब हमारा सब्र जवाब दे चुका है. हम 24फरवरी को जयपुर कूच (farmers protest) करेंगे.
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किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगें मान ले तो उन्हें विरोध प्रदर्शन करने की नौबत नहीं आएगी. किसानों की मांग केंद्र के अलावा राजस्थान सरकार से भी है. इन मांगों में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने, ईसरदा बांध विस्थापितों का मुआवजा बढ़ाये जाने, आवासन मंडल के लिए ली गई ज़मीन को किसानों को लौटाए जाने जाने और पीएम फसल बीमा योजना (pm fasal bima yojana) में शीतलहर को व्यक्तिगत बीमा योजना में जोड़े जाने के मुद्दे शामिल हैं.(रिपोर्ट/मनोज तिवारी)