झारखंड के किसानों को प्राकृतिक आपदा से हुए फसल नुकसान की भारपाई करने के लिए झारखंड फसल राहत योजना शुरू की गई है. इसके तहत किसानों को प्रति एकड़ की दर से फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा. पर राज्य में किसान इस योजना को लेकर उदासीन रवैया अपना रहे हैं. योजना के तहत इसका लाभ लेने के लिए किसानों को प्रज्ञा केंद्र में जाकर रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है. पर किसान अपना निबंधन करना के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. यही कारण है कि किसानों की कम संख्या को देखते हुए राज्य सरकार को फसल राहत योजना के तहत निबंधन की तारीख को दो बार बढ़ाना पड़ा है. पर इसके बाद भी अब तक मात्र 13 लाख किसानों ने ही निबंधन कराया है जबकि राज्य में किसानों की संख्या 45 लाख के करीब है.
गौरतलब है कि वर्ष 2022 के बाद 2023 के मॉनसून ने भी झारखंड के किसानों के साथ धोखा किया. इसके कारण धान की खेती सबसे अधिक प्रभावित हुई है. जून-जुलाई महीने में जब धान की खेती के लिए पानी की जरूरत थी उस वक्त बारिश नहीं हुई. इसके बाद अगस्त सितंबर ही लगभग सूखा ही रहा. बीच-बीच में बारिश होती रही. फिर अक्टूबर महीने में अच्छी बारिश हुई, इसके कारण कुएं और तालाबों में पानी भरा पर समय से बारिश नहीं होने के कारण 10 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि खाली रह गई. जबकि जिन किसानों ने किसी तरह खेती की थी, बारिश की अनियमितता के कारण उनकी भी फसल बर्बाद हो गई.
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राज्य में इन्ही सब हालातों को देखते हुए फसल राहत योजना को इस साल भी जारी रखा है. पर किसान निबंधन के लिए नहीं आ रहे हैं. जबकि लगातार दो बार सूखे की मार झेलने के बाद किसानों की स्थिति बेहाल हो गई है. पर इसके बावजूद इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान नहीं आ रहे हैं इसके कई मायने निकल रहे हैं. वहीं राज्य सरकार ने अधिक से अधिक किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से निबंधन कराने की तारीख को बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया है.
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दरअसल इस बारे में किसानों से जब बात कि गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर विश्वास नहीं है कि उन्हें फसल राहत योजना का लाभ मिलेगा. उनका कहना है कि फसल राहत योजना के तहत लाभ लेने के लिए प्रज्ञा केंद्र जाएंगे और इस प्रक्रिया में उन्हें लगभग 50 रुपए खर्च करने होंगे और समय भी लगेगा, पर फिर बाद में उन्हें लाभ मिलेगा या नहीं यह पता नहीं है. क्योंकि किसानों का कहना है कि पिछली बार प्रज्ञा केंद्रों में घंटों लाइन में लगगर मुख्यमत्री सूखाड़ राहत योजना के लिए आवेदन किया था पर उसका लाभ नहीं मिला. इसलिए वो इस योजना से दूरी बना रहे हैं.