हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश से संबंधित आपदाओं के मद्देनजर, राज्य में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के मानदंडों में ढील दी गई है. अब इसके सालाना मानव दिवसों की संख्या 100 से बढ़कर 150 हो गई है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. ये संशोधित दिशानिर्देश विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागू होंगे जहां आपदाओं ने कहर बरपाया था.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है और ऐसे में मनरेगा के तहत मांग बढ़ना स्वाभाविक था. इसे ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के तहत 50 अतिरिक्त दिन दिए जाने की सिफ़ारिश की है, जिसे मंज़ूरी दे दी गई है. इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अतिरिक्त मानव दिवस राज्य और केंद्र सरकार की सहमति से सृजित किए जाएंगे और पहले से स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध बजट से कार्य शुरू किया जाएगा, जहां आवश्यकतानुसार अतिरिक्त श्रमिकों को लगाया जाएगा.
चिंता की बात ये है कि हिमाचल प्रदेश को अभी भी मानसून की तबाही से राहत नहीं मिलने वाली है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को उप-हिमालयी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया है. आईएमडी की मानें तो हिमाचल प्रदेश में मॉनसून के फिर से एक्टिव होने की संभावना है और राज्य के 11 जिलों में बारिश की संभावना है. बिलासपुर, सिरमौर, चंबा और आसपास के इलाकों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार को कई भूस्खलनों के बाद बारिश से जुड़ी घटनाओं का एक नया दौर शुरू हुआ. इससे पिछले कुछ महीनों से मूसलाधार बारिश से बुरी तरह प्रभावित राज्य में जनजीवन और भी अस्त-व्यस्त हो गया है.
गौरतलब है कि 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से अब तक राज्य को 4,754 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस साल मानसून की शुरुआत के बाद से ही इस हिमालयी राज्य में 47 बादल फटने, 98 फ्लैश फ्लड और 148 बड़े भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं. हिमाचल प्रदेश में वर्षाजनित घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में 427 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 243 लोगों की जान वर्षाजनित घटनाओं में और 184 की सड़क दुर्घटनाओं में गई. लगभग 481 लोग घायल हुए हैं, जबकि 46 अभी भी लापता हैं. (सोर्स- PTI)
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