हिमाचल के दूध उत्‍पादकों और बागवानों के लिए बड़ी खबर, राज्‍य कैबिनेट ने इन फैसलों को दी मंजूरी

हिमाचल के दूध उत्‍पादकों और बागवानों के लिए बड़ी खबर, राज्‍य कैबिनेट ने इन फैसलों को दी मंजूरी

हिमाचल कैबिनेट ने दूध और फल उत्पादकों के हित में बड़े फैसले लिए हैं. 2025 की एमआईएस योजना में सेब, संतरा, माल्टा, आम आदि की 12 रु./किग्रा दर से खरीद तय की गई है. साथ ही चार नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट को भी मंजूरी दी गई है.

Himachal Decision for milk producers and horticulturistsHimachal Decision for milk producers and horticulturists
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 30, 2025,
  • Updated Jul 30, 2025, 6:22 PM IST

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के फल उत्पादकों और दूध उत्‍पादकों, किसानों के हित में कई बड़े फैसले लिए गए. प्रदेश सरकार ने 2025 की मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत 12 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट से सेब की खरीद को मंजूरी दी है. योजना के तहत बी और सी ग्रेड के किन्नू, माल्टा और संतरे की खरीद भी 12 रुपये प्रति किलोग्राम, गलगल 10 रुपये प्रति किलोग्राम, जबकि सीडलिंग, कलमी और कच्चा अचारी आम 12 रुपये प्रति किलोग्राम में की जाएगी. इसके अलावा, बिलासपुर जिला प्रशासन ने स्थानीय डेयरी किसानों को संगठित करने और दूध कलेक्‍शन और मार्केटिंग को अच्‍छे से व्यवस्थित करने के लिए एक बड़ी पहल की है.

इन जगहों पर लगेंगे मिल्‍क प्रोसेसिंग प्‍लांट

कैबिनेट ने नाहन, नालागढ़, मौहल और रोहड़ू में चार नए मिल्‍क प्रोसेसिंग प्‍लांट लगाने के फैसले को भी मंजूरी दी है. साथ ही, हमीरपुर जिले के जलाड़ी में एक नया मिल्क चिलिंग सेंटर और ऊना जिले के झलेरा में एक बल्क मिल्क कूलर लगाया जाएगा. बैठक में बताया गया कि इनके ऑपरेशन को पारदर्शी बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश दूध संघ में ERP (उद्यम संसाधन नियोजन) सॉफ्टवेयर प्रणाली लागू करने का भी निर्णय लिया गया है. इससे दूध संघ के काम डिजिटल होंगे और किसानों को मोबाइल फोन के जरिए तुरंत जरूरी जानकारियां मिल सकेंगी.

बिलासपुर की 101 ग्राम पंचायतों को फायदा

बिलासपुर के उपायुक्त राहुल कुमार ने बुधवार को बताया कि जिले की 101 ग्राम पंचायतों में दूध सहकारी समितियों बनाई जाएंगी. राज्य सरकार के दिशानिर्देशों के तहत हाल ही में पंचायत स्तर पर इन समितियों के गठन को लेकर बैठक आयोजित की गई थी. डीसी राहुल कुमार ने कहा कि यह पहल न केवल दूध संग्रहण को आसान बनाएगी बल्कि किसानों को स्थायी आय का जरिया भी उपलब्ध कराएगी. पहले चरण में 25 पंचायतों की पहचान की गई है, जहां समिति गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही आवश्यक लाइसेंस भी जारी कर दिए जाएंगे.

क्लस्टर-लेवल मिल्‍क कलेक्‍शन सेंटर बनाए जाएंगे

पशुपालन विभाग के हालिया सर्वे के अनुसार, इन 101 पंचायतों में औसतन प्रतिदिन 200 लीटर अतिरिक्त दूध का उत्पादन होता है. इस अतिरिक्त उत्पादन को समुचित रूप से संभालने के लिए क्लस्टर-स्तरीय दूध संग्रहण केंद्र भी बनाए जाएंगे, जहां से दूध को चिलिंग पॉइंट्स तक पहुंचाया जाएगा. दूसरे चरण में उन पंचायतों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां प्रतिदिन 100 लीटर से अधिक अतिरिक्त दूध का उत्पादन होता है.

इसके अलावा किसानों को डेयरी मॉडल और सहकारी व्यवस्था की व्यावहारिक जानकारी देने के लिए गुजरात जैसे अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्यों के अध्ययन दौरे भी आयोजित किए जाएंगे. यह कदम न केवल दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा. (पीटीआई के इनपुट के साथ)

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