देश में कृषि के आधुनिकीकरण का दौर चल रहा है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा रहा है. उन्हें आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है, साथ ही उन तक आधुनिक उपकरणों की पहुंच आसान हो इसलिए उनकी खरीद पर किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है. इसी तर्ज पर देश में अब कृषि ड्रोन का इस्तेनमाल भी बढ़ा है. ड्रोन के इस्तेमाल ने कीटनाशकों के छिड़काव को आसान कर दिया है साथ ही इसके नैनो यूरिया के छिड़काव में भी किसानों को राहत मिल गई है. साथ ही किसानों की लागत और मेहनत में कमी आ रही है. ड्रोन के इन्ही सब फायदों को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 38 हजार एकड़ में ड्रोन से छिड़काव करने का फैसला किया है.
बिहार सरकार के कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के जो किसान डीबीटी पोर्टल में रजिस्टर्ड हैं वो ड्रोन से खेतों में छिड़कावक करने वाली योजना का लाभ ले सकते हैं. योजना के तहत पहले चरण में प्रत्येक जिले में एक हजार एकड़ खेत में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया जाएगा. छिड़काव करने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 250 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. एक किसान को अधिकतम 10 एकड़ जमीन के लिए सब्सिडी दी जाएगी. ड्रोन से छिड़काव करने की योजना के तहत किसान तिलहन और दलहनी फसलों के साथ साथ मक्का, गेंहू और आलू के खेत में छिड़काव करा सकते हैं.
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कृषि विभाग के मुताबिक खेतों में खरपतवार, जीवाणु और कीटों की वजह से हर साल 35 फीसदी फसल बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए किसानों को सही समय पर खेतों में कीटनाशका छिड़काव करना जरूरी हो जाता है. आमतौर पर किसान पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, इसके कारण उन्हें कई प्रकार के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा किसानो को इसमें अधिक समय लगता है और पानी की बर्बादी होती है. साथ ही बहुत मेहनत भी लगती है. इसके अलावा खेतों में सही से छिड़काव भी नहीं हो पाता है.
पर ड्रोन से छिड़काव करने से समय की बचत होती है. ड्रोन से एक एकड़ खेत में कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए आठ से दस लीटर पानी की जरूरत होती है. इस तरह से पानी की बचत होती है. साथ ही एक एकड़ जमीन में आठ से 10 मिनट में एक कीटनाशक का छिड़काव हो जाता है. इस तरह से समय की बचत होती है और किसानों के स्वास्थ्य पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. योजना के तहत अपने खेत में ड्रोन से छिड़काव कराने के लिए किसान कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.