भारत में बड़े पैमाने पर अन्न का उत्पादन किया जाता है, लेकिन बदलते वक्त के साथ अब पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर किसान बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. दरअसल फल-सब्जी उत्पादन की आधुनिक तकनीकों के आ जाने से बागवानी क्षेत्र में मुनाफा बढ़ता जा रहा है. क्योंकि ये फसलें कम समय में पककर तैयार हो जाती हैं और बाजार में इसके अच्छे दाम भी मिल जाते हैं. हालांकि बागवानी फसलों के लिए अपनी मंडी और ग्रामीण बाजार का न होना किसानों के लिए समस्या है.
इसी के मद्देनजर गांव के किसानों के हित में बिहार सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों की भंडारण क्षमता बढ़ाने और उगाई गई सब्जी और फल की बिक्री के लिए अपनी मंडी और ग्रामीण बाजार के लिए सब्सिडी दे रही है.
बिहार एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत बिहार सरकार किसानों को अपनी मंडी और ग्रामीण बाजार बनाने के लिए अधिकतम इकाई लागत 25,00,000 रुपये लगती है. वहीं अपनी मंडी और ग्रामीण बाजार बनाने की लागत पर व्यक्तिगत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी यानी 12,50,000 रुपये दिए जा रहे हैं. वहीं किसान उत्पादन संगठन (FPO/FPC) को इकाई लागत पर 75 प्रतिशत सब्सिडी यानी 18,75,000 रुपये दिए जा रहे हैं. जिसका लाभ उठाकर किसान अपनी उपज को आसानी से बेच सकते हैं.
देशभर के कई राज्यों से किसानों की उपज की कम कीमत मिलने के चलते प्याज, टमाटर और लहसुन कचरे में फेंकने के मामले सामने आते रहते हैं. वहीं ग्रामीण बाजार के कई फायदे हैं. इसलिए अगर किसान अपनी उपज को ग्रामीण बाजार में बेचते हैं तो उन्हें हाथों- हाथ नकद पैसा मिलता है. साथ ही किसान अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचते हैं. वहीं किसानों की अगर खुद की मंडी हुई तो वह अपनी उपज को बाजारों में मांग के हिसाब से और अपने तय की हुई कीमतों पर बेच सकते हैं.
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बिहार में रहने वाले लोग एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत अपनी मंडी और ग्रामीण बाजार पर सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए किसानों को बागवानी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट के लिंक पर जाकर आवेदन करना होगा. इसके अलावा किसानों को इससे जुड़ी अधिक जानकारी या फिर किसी सवाल के जवाब के लिए अपने जिले के उद्यान विभाग के कार्यालय में सहायक निदेशक से जाकर मिल सकते हैं.