
महाराष्ट्र के गन्ना किसान पिछले काफी समय से खासे परेशान हैं. सही कीमत न मिलने पर इन किसानों की टेंशन बढ़ती जा रही है. अब सोलापुर जिले में गन्ने के दाम के मुद्दे पर किसान और किसानों के संगठन के कार्यकर्ताओं ने आक्रामक तेवर अपना लिए हैं. यहां पर चीनी मिलें शुरू हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है और किसानों को गुस्सा भड़क गया है. बताया जा रहा है कि सोलापुर जिले की कई चीनी मिलों ने गन्ने की पहली किस्त 2800 से 2850 रुपये तक घोषित की है. यही बात किसानों का गुस्सा भड़का रही है. जानें क्या है सारा मामला.
किसानों की मानें तो पड़ोसी जिलों, कोल्हापुर, सांगली और सातारा, की चीनी मिलों ने 3500 से 3600 रुपये तक का गन्ना भाव घोषित किया है. किसानों का सवाल है कि जब कोल्हापुर जिले की चीनी मिलें 3500 रुपये का भाव दे सकती हैं, तो सोलापुर जिले की मिलें वही कीमत क्यों नहीं दे सकतीं? अगर मिलें 3500 रुपये का गन्ना भाव घोषित नहीं करतीं तो 8 दिसंबर से किसान नेता समाधान फाटे और बाकी किसान आमरण अनशन पर बैठेंगे.
गन्ना किसानों समेत स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने मांग की है कि सोलापुर जिले की चीनी मिलें भी गन्ने की पहली किस्त 3500 रुपये घोषित करें. संगठन के अनुसार अगर मिलर्स 3500 रुपये का गन्ना भाव घोषित नहीं करते हैं तो 8 दिसंबर से पंढरपुर के वाखरी पालखीटल में वो आमरण अनशन पर बैठेंगे. इस सिलसिले में एक निवेदन पंढरपुर के तहसीलदार को भी दिया गया है. 1 दिसंबर को संगठन की तरफ से एक चिट्ठी जारी की गई है. इस चिट्ठी में कहा गया है कि गन्ना कीमत को लेकर शेतकरी संगठन आमरण अनशन पर बैठेगा.
शेतकरी संगठन के कार्यकर्ताओं ने किसानों से इस आंदोलन को समर्थन देने की अपील की है. 8 तारीख से वाखरी पालखीटल में आमरण अनशन किया जाएगा. चिट्ठी के अनुसार, 'जहां पड़ोसी जिलों में गन्ने की पहली किस्त 3200 से 3500 रुपये मिल रही है, वहीं हमारे सोलापुर जिले के मिल मालिकों ने पहली किश्त 2800 से 2850 रुपये तय की है. ये मिल मालिक भले ही एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करें पर गन्ना दर तय करने के मामले में किसानों ने एक बार फिर इनकी एकजुटता देखी है.' किसानों के संगठनों ने इन मिल मालिकों के खिलाफ गांधीगिरी के तरीके से आमरण अनशन करने का फैसला लिया है.
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