प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए 35,440 करोड़ रुपये लागत वाली दो प्रमुख कृषि योजनाओं का शुभारंभ किया है. साथ ही उन्होंने किसानों से देश की आयात निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने का आह्वान किया. पीएम मोदी ने खुद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) पूसा परिसर में एक विशेष कार्यक्रम में 24,000 करोड़ रुपये की 'प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना' (पीएम-डीडीकेवाई) और 11,440 करोड़ रुपये के 'दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन' का शुभारंभ किया. इसके साथ ही उन्होंने पिछली सरकार पर निशाना भी साधा.
अपने 30 मिनट के संबोधन में PM मोदी ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए कोई दूरदर्शिता और रणनीति न होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सरकार पर हमला बोला. वहीं, दो नई योजनाओं के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र पीएम-डीडीकेवाई और दलहन मिशन में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगा, जिससे "करोड़ों किसानों का भाग्य" बदल जाएगा.
कैबिनेट द्वारा पहले ही स्वीकृत दोनों योजनाएं आगामी रबी सीजन से 2030-31 तक लागू की जाएंगी. PM मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि किसानों ने आजादी के बाद भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है. अब भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. एक ओर हमें खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनना है, वहीं दूसरी ओर हमें वैश्विक बाज़ार के लिए उत्पादन करना है. हमें अंतरराष्ट्रीय बाजार का दरवाजा खटखटाना होगा. साथ ही PM मोदी ने किसानों से उन फसलों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जिनकी वैश्विक मांग है.
उन्होंने कहा कि हमें अपने आयात कम करने होंगे और निर्यात बढ़ाने में भी पीछे नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये दोनों नई योजनाएं इन दोनों उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. पीएम मोदी ने किसानों से गेहूं और चावल के अलावा दालों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विविधता लाने का आग्रह किया, ताकि प्रोटीन सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. उन्होंने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद भारत अभी भी आयात पर निर्भर है.
दलहन मिशन के तहत मोदी ने कहा कि उत्पादन को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 2030 तक दालों की खेती का रकबा 35 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना लक्ष्य है. इस मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक दालों का उत्पादन मौजूदा 252.38 लाख टन से बढ़ाकर 350 लाख टन करना है.
उन्होंने कहा कि सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम पर आधारित पीएम-डीडीकेवाई, कम प्रदर्शन करने वाले 100 कृषि जिलों को लक्षित करेगा और अलग-अलग मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एकीकृत करेगा. यह योजना उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने, सिंचाई और भंडारण सुविधाओं में सुधार पर केंद्रित होगी.
पिछली कांग्रेस सरकार पर कृषि क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए, मोदी ने कहा कि विपक्षी दल के पास इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के विकास के लिए "दृष्टिकोण" और रणनीति का अभाव था. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि कृषि क्षेत्र को सरकारी समर्थन मिले, लेकिन उन्होंने इस बात पर दुख जताते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने कृषि को अपने हाल पर छोड़ दिया.
मोदी ने कहा कि पिछली सरकार के पास खेती-किसानी के लिए सरकार की ओर से कोई विजन नहीं था. कोई रणनीति नहीं थी. उन्होंने आगे कहा कि कृषि से जुड़े अलग-अलग सरकारी विभाग स्वतंत्र रूप से काम करते थे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इसी रवैये के कारण भारत की कृषि व्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही है. उच्च विकास दर हासिल करने के लिए, PM मोदी ने कहा कि कृषि व्यवस्था में सुधार लाना ज़रूरी है और यह प्रक्रिया 2014 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद शुरू हुई है.
मोदी ने कहा कि उन्होंने खेती के प्रति पिछली सरकारों के "लापरवाह रवैये" को बदला और बीज से लेकर बाजार तक, कृषि क्षेत्र में कई सुधार किए. केंद्र ने कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के प्रयास किए. उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 11 वर्षों में कृषि बजट में छह गुना वृद्धि की है.
विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए, मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार ने 10 वर्षों में उर्वरकों पर 13 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है, जिसमें से 3.75 लाख करोड़ रुपये पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को दिए गए हैं, जबकि यूपीए सरकार के 10 वर्षों में 5 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई थी.
हाल ही में कृषि पर जीएसटी दरें में कटौती पर उन्होंने कहा कि मशीनरी और उपकरणों की लागत कम हुई है, और इससे किसानों को दोगुनी बचत हुई है, क्योंकि खेती में उपयोग होने वाली मशीनों की कीमतें में कमी आई है. PM मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत का कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है. खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 9 करोड़ टन की वृद्धि हुई है, जबकि फल और सब्जियों का उत्पादन 64 मीट्रिक टन से अधिक बढ़ा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये के बीमा दिए गए हैं, और यह कोई छोटी राशि नहीं है. पिछले 11 वर्षों में किसान आय बढ़ाने के लिए 10,000 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए गए हैं.