पिछले दिनों कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बेंगलुरु के करीब देवनहल्ली तालुक के चन्नारायपटना होबली में एक प्रोजेक्ट के लिए 1777 एकड़ जमीन के अधिग्रहण प्रस्ताव का रद्द कर दिया. इस प्रोजेक्ट तहत एक एयरोपार्क और उससे जुड़े उद्योगों की स्थापना होनी थी. सरकार के इस फैसले से देवनहल्ली के वो किसान काफी खुश हुए जो पिछले 1,198 दिनों यानी करीब साढ़े तीन साल से इस प्रोजेक्ट के विरोध में बैठे थे. इस फैसले ने आसपास के किसानों को नई उम्मीद दी है. बेंगलुरु के आसपास के किसान भी अब कई परियोजनाओं के लिए उनकी जमीन अधिग्रहण के प्रस्तावों के खिलाफ आंदोलन का मन बना चुके हैं.
अखबार डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अधिकारी सीएम सिद्धारमैया के फैसले से निराश हैं. उनका मानना है कि देवनहल्ली में सरकार के इस कदम से कर्नाटक के कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ने वाला है. किसानों के नए विरोध प्रदर्शन की शुरुआत अनेकल तालुक के सरजापुर होबली से हो चुकी है. यहां पर शुक्रवार को किसानों ने कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के विरोध में एक बाइक रैली निकाली. बोर्ड ने कई अहम इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा है. शहर के बाकी हिस्सों के किसान भी अपनी जमीन को खतरा बन रहेप्रोजेक्ट्स के खिलाफ इसी तरह के कदम उठाने की तैयारी में हैं.
अधिकारियों के हवाले से अखबार ने बताया कि सरकार के फैसले से इनवेस्टर्स में खलबली मच गई है. कई लोग मान रहे हैं कि फैसला विकास के लिए एक बड़ा झटका है. स्वाभाविक तौर पर किसान या तो पीछे हट रहे हैं या फिर ज्यादा मुआवजे की मांग कर रहे हैं. नेलमंगला, सरजापुर और बिदादी जैसे इलाकों में पहले से ही कई छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं.
वहीं किसान नेता रमेश चीमाचनहल्ली ने पुष्टि की कि देवनहल्ली विरोध प्रदर्शन की सफलता ने अनेकल, नंदागुडी, बिदादी और कनकपुरा के किसानों के बीच बातचीत को बढ़ावा दिया है.
उनकी मानें तो मुख्यमंत्री के भूमि अधिग्रहण न करने की घोषणा से किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है. तब से, नंदगुडी के आसपास के किसान हाल की विकास परियोजनाओं से संबंधित चिंताओं को लेकर उनसे संपर्क कर रहे हैं. हालांकि किसी भी सरकारी अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया है, फिर भी वे सक्रिय हैं.
नेलमंगला के आसपास के किसान भी सड़कों पर उतरने को तैयार हैं. यहां पर सरकार बेंगलुरु के दूसरे एयरपोर्ट को बनाने के फैसले पर विचार कर रही है. किसान इस बात से नाराज हैं और सरकार के फैसले के खिलाफ उतर सकते हैं. देवनहल्ली तालुका में जमीन के टुकड़ों की कीमत करीब 1.78 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है. अगर कोई किसान स्वेच्छा से अपनी जमीन सरकार को बेचता है तो सरकार उसे यही कीमत देगी.
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