
किसान मजदूर मोर्चा (KMM) द्वारा शुक्रवार को पूरे पंजाब में रेल रोको आंदोलन के आह्वान का फरीदकोट में कोई असर नहीं दिखा. दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक किसानों को जिला रेलवे स्टेशन पर धरना देकर ट्रेनों को रोकना था, लेकिन पुलिस की कड़ी कार्रवाई और सुरक्षा बंदोबस्त के चलते स्टेशन पर एक भी किसान नहीं पहुंच सका. इसके बावजूद, अन्य जिलों में चल रहे धरनों के कारण फरीदकोट में ट्रेनें रोकी गईं और इसका सीधा खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ा.
सूत्रों के अनुसार कई किसान नेताओं को पुलिस ने उनके घरों पर ही रोक दिया ताकि वे रेलवे स्टेशन तक न पहुंच सकें. फरीदकोट स्टेशन पर सुबह से ही भारी पुलिस बल तैनात था. यूनियन से पहले की गई बैठक में भी पुलिस ने किसानों से अपील की थी कि आम जनता को परेशान करने वाली गतिविधियों से परहेज करें.
दोपहर 1 से 3 बजे तक स्टेशन पर धरना देना तय था, लेकिन पुलिस की मौजूदगी और सख्ती के कारण एक भी किसान धरना स्थल तक नहीं पहुंच पाया. कुछ किसान स्टेशन के पास तक आए भी, लेकिन उन्हें भीतर जाने नहीं दिया गया.
भले ही फरीदकोट में धरना न हुआ हो, लेकिन फिरोजपुर और अन्य जिलों में आंदोलन के चलते ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही. फरीदकोट में दोपहर करीब 1:25 बजे हजूर साहिब नांदेड़ साप्ताहिक एक्सप्रेस पहुंचनी थी, लेकिन धरने के कारण यह ट्रेन फिरोजपुर से ही रवाना नहीं हो पाई.
इस ट्रेन से लगभग 60 यात्री हजूर साहिब की धार्मिक यात्रा पर जाने वाले थे. कई यात्री सुबह से ही स्टेशन पर बैठे इंतजार कर रहे थे. ट्रेन न आने के कारण यात्रियों में भारी नाराजगी देखने को मिली.
स्टेशन पर इंतजार कर रहे मंदर सिंह ने कहा, “हम पांच लोग हजूर साहिब जा रहे थे. टिकट भी बुक है, पर ट्रेन धरने की वजह से लेट है. तीन घंटे से स्टेशन पर बैठे हैं. रोज-रोज धरना कर यात्रियों को परेशान करना ठीक नहीं.”
इसी तरह गांव पक्का के रहने वाले हरजीत सिंह, जो परिवार सहित धार्मिक यात्रा पर आए थे, बोले, “अगर ट्रेन यहां से लेट होगी तो आगे भी देर से पहुंचेगी. पूरा कार्यक्रम बिगड़ गया. किसान भी नहीं आए और ट्रेन भी नहीं चली, आम जनता ही परेशान हुई.”
यात्रियों ने कहा कि बार-बार होने वाले धरनों का बुरा असर आम नागरिकों और यात्रा कर रहे लोगों पर पड़ता है.
डीएसपी अवतार सिंह ने बताया कि किसान यूनियन के नेताओं से पहले ही बैठक कर धरना न लगाने का आग्रह किया गया था ताकि आम जनता को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. उन्होंने कहा, “हमने किसानों से अपील की थी कि रेलवे स्टेशन पर धरना न दें. सुरक्षा के तहत कुछ नेताओं को घरों पर भी रोका गया. फरीदकोट में धरना नहीं हुआ, लेकिन अन्य जिलों में आंदोलन होने के कारण ट्रेन यहां पहुंच ही नहीं पाई.” स्टेशन पर पुलिस की भारी मौजूदगी के चलते स्थिति शांतिपूर्ण रही.
हालांकि फरीदकोट में KMM का रेल रोको आंदोलन विफल माना जा रहा है, लेकिन अन्य जिलों में किसानों द्वारा किए गए धरनों ने रेलवे संचालन को प्रभावित किया. इसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ा, विशेषकर धार्मिक यात्रियों पर.
लोगों का कहना है कि किसानों और सरकार के बीच किसी समाधान की दिशा में कदम उठना जरूरी है ताकि हर बार जनता को ही नुकसान न उठाना पड़े.