पंजाब-हरियाणा में फिर तेज होगा आंदोलन! भारी संख्या में शंभू बॉर्डर पर पहुंच रहे किसान

पंजाब-हरियाणा में फिर तेज होगा आंदोलन! भारी संख्या में शंभू बॉर्डर पर पहुंच रहे किसान

किसानों का कहना है कि 23 फसलों के लिए MSP की घोषणा की गई है. यह ज्यादातर चावल और गेहूं के लिए ही काम करती है, क्योंकि सरकार को अपने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए इनकी जरूरत होती है. किसान चाहते हैं कि MSP अधिक हो और MSP किस हद तक किसानों की मदद करेगी. 

किसान आंदोलन को लेकर बड़ी खबर. (सांकेतिक फोटो)किसान आंदोलन को लेकर बड़ी खबर. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 04, 2024,
  • Updated Jun 04, 2024, 12:56 PM IST

पंजाब-हरियाणा में किसानों ने फिर से अपना विरोध- प्रदर्शन शुरू कर दिया है और बड़ी संख्या में शंभू बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं. यह किसानों द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन का दूसरा दौर है, जिसमें सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी आश्वासन और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है. वे किसानों के लिए पेंशन, ऋण माफी और विश्व व्यापार संगठन से वापसी की भी मांग कर रहे हैं. 

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि 23 फसलों के लिए MSP की घोषणा की गई है. यह ज्यादातर चावल और गेहूं के लिए ही काम करती है, क्योंकि सरकार को अपने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए इनकी जरूरत होती है. किसान चाहते हैं कि MSP अधिक हो और MSP किस हद तक किसानों की मदद करेगी. यह किसानों के विरोध के बीच उठने वाला मुख्य सवाल है. बढ़ती लागत, घटते जल स्तर और मिट्टी की उर्वरता के नुकसान के कारण स्थिर उपज के कारण खेती अब कम लाभदायक होती जा रही है.

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धान की जगह एक अच्छा विकल्प हो सकता है

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि केवल MSP तय करने से किसानों के लिए चमत्कार नहीं हो सकता, उन्हें विविधता लाने की भी जरूरत है, जिस पर सरकार सालों से जोर दे रही है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. जितेंदर मोहन सिंह ने कहा कि एमएसपी तय करना तस्वीर का एक पहलू है, जबकि दूसरा पहलू यह है कि उन्हें गेहूं और धान के चक्र से बाहर निकलने के लिए विविधता लाने की जरूरत है. यदि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी तय किया जाता है, तो इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी, लेकिन इसके अलावा उन्हें विविधीकरण के लिए भी आगे बढ़ना होगा. धान की वजह से पहले से ही जल स्तर में कमी आ रही है. डॉ. सिंह ने कहा कि मक्का धान की जगह एक अच्छा विकल्प हो सकता है. 

क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मक्का-सरसों-मूंग की प्रणाली से पोषण सुरक्षा और मृदा स्वास्थ्य में वृद्धि के साथ कृषि को लाभ मिल सकता है. भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के अध्यक्ष हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव और किसानों की अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए फसल बेचने की जरूरत दो प्रमुख कारक हैं और यही कारण है कि किसान चाहते हैं कि सरकार एमएसपी तय करे, क्योंकि किसान व्यापारियों से बातचीत करने में माहिर नहीं हैं, जबकि व्यापारी कुशल वार्ताकार हैं. उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों का उचित मूल्य पाने में असफल रहते हैं.

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