भारत को 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में हर साल पैदा करनी होगी 78.5 लाख नौकरियां: आर्थिक सर्वे

भारत को 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में हर साल पैदा करनी होगी 78.5 लाख नौकरियां: आर्थिक सर्वे

साल 2023-2024 के आर्थिक सर्वे के अनुसार जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है वैसे ही वैसे कार्यबल की जरूरतें भी बढ़ रही हैं. ऐसे में इन जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में साल 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है. सोमवार को संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण में देश में रोजगार पैदा करने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर भी जोर दिया गया है.

The Karnataka government has cleared a bill to reserve 70 per cent of non-management and 50 per cent of management-level jobs in private sector firms for KannadigasThe Karnataka government has cleared a bill to reserve 70 per cent of non-management and 50 per cent of management-level jobs in private sector firms for Kannadigas
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 22, 2024,
  • Updated Jul 22, 2024, 8:37 PM IST

साल 2023-2024 के आर्थिक सर्वे के अनुसार जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है वैसे ही वैसे कार्यबल की जरूरतें भी बढ़ रही हैं. ऐसे में इन जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में साल 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है. सोमवार को संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण में देश में रोजगार पैदा करने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर भी जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि एक से ज्‍यादा मामलों में, कार्रवाई निजी क्षेत्र के हाथ में है. वित्तीय प्रदर्शन के मामले में, कॉर्पोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन कभी इतना अच्छा नहीं रहा. 

कॉरपोरेट सेक्‍टर को फायदा 

इसमें कहा गया है कि 33,000 से ज्‍यादा कंपनियों के सैंपल के नतीजे बताते हैं कि वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2023 के बीच तीन सालों में भारतीय कॉर्पोरेट सेक्‍टर का टैक्‍स से पहले का फायदा करीब चार गुना हो गया. सर्वे की मानें तो नाममात्र जीडीपी सालाना आधार पर 9.6 प्रतिशत बढ़कर 295 लाख करोड़ रुपये हो गई. भर्ती और मुआवज की वृद्धि शायद ही इसके बराबर रही. लेकिन, कंपनियों के हित में है कि वे भर्ती और कर्मचारी मुआवजे में वृद्धि करें.  सर्वे में अर्थव्यवस्था की वजह से पैदा होने वाली नौकरियों (78.5 लाख प्रति वर्ष) की संख्या का विस्‍तृत अनुमान दिया गया है. इसमें आगे कहा गया है कि कामकाजी उम्र के सभी लोग नौकरी की तलाश नहीं करेंगे. उनमें से कुछ स्वरोजगार करेंगे और उनमें से कुछ नियोक्ता भी होंगे. 

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खेती में घटेगी हिस्‍सेदारी 

सर्वे की मानें तो नौकरियों से ज्‍यादा आर्थिक विकास आजीविका पैदा करने के बारे में है. सभी स्तरों पर सरकारों और निजी क्षेत्र को इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा. सर्वे के मुताबिक कार्यबल में कृषि की हिस्सेदारी धीरे-धीरे 2023 में 45.8 प्रतिशत से घटकर 2047 में 25 प्रतिशत हो जाएगी.  सर्वे के अनुसार, 'इसका नतीजा होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन करीब 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है.' हर साल गैर-कृषि क्षेत्र में 78.5 लाख नौकरियों की मांग को पीएलआई (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार), मित्रा टेक्सटाइल योजना (20 लाख रोजगार की जरूरत) और मुद्रा जैसी मौजूदा योजनाओं के समांतर ही पूरा किया जा सकता है. 

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रोजगार क्षेत्र के लिए चुनौतियां 

सर्वे में कहा गया है कि स्टाफिंग कंपनियों के जरिये से फ्लेक्सी लेबर के बढ़ते रोजगार अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक चैनल हो सकता है. सर्वे की मानें तो एक बढ़ते कार्यबल को औपचारिक बनाने, उन क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की सुविधा देने की लंबे समय से मौजूद चुनौतियां हैं जो खेती से हटकर दूसरा काम करने वाले श्रमिकों को काम पर रख सकते हैं. उनके लिए रेगुलर सैलरी/वेतनभोगी रोजगार में सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करते हैं. 

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