धान खरीद में बड़ा फर्जीवाड़ा: पोर्टल, मिलर और अफसर का हुआ भंडाफोड़

धान खरीद में बड़ा फर्जीवाड़ा: पोर्टल, मिलर और अफसर का हुआ भंडाफोड़

हरियाणा में सामने आया धान खरीद का घोटाला जिसने सरकारी प्रोक्योरमेंट सिस्टम की कमियों को सामने ला दिया है. मंडियों, राइस मिलों और सरकारी पोर्टल के ज़रिए धान और बाजरे की कागजी खरीद को धोखे से दिखाकर हज़ारों करोड़ रुपये का स्कैम किया गया. SKM ने राज्य और केंद्र सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं और न्यायिक जांच की मांग की है.

हरियाणा मंडियों में फर्जी खरीद का काला सचहरियाणा मंडियों में फर्जी खरीद का काला सच
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 08, 2025,
  • Updated Dec 08, 2025, 5:26 PM IST

हरियाणा में सरकारी खरीद से जुड़े एक बड़े घोटाले ने पूरे खेती-बाड़ी के सिस्टम को हिलाकर रख दिया है. SKM (संयुक्त किसान मोर्चा) ने इस घोटाले के लिए सीधे तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. आरोप है कि FCI, HAFED, HSWC, और फ़ूड एंड सिविल सप्लाई डिपार्टमेंट जैसी एजेंसियों ने मिलीभगत करके कागज़ों पर फसलों की खरीद दिखाई और सरकारी पैसे का बड़ा घोटाला किया गया है. असल में, न तो फसल खरीदी गई और न ही किसानों को MSP दिया गया, फिर भी सब कुछ खरीदा हुआ दिखाया गया.

कागज़ी खरीद का खेल कैसे हुआ?

जांच के दौरान कई मंडियों और गोदामों में रिकॉर्डेड स्टॉक और वास्तविक स्टॉक में भारी अंतर पाया गया. इससे स्पष्ट हुआ कि “घोस्ट प्रोक्योरमेंट”- यानि सिर्फ कागज़ पर खरीद- का बड़े पैमाने पर खेल हुआ. मंडियों में दाखिल धान की मात्रा पिछले साल से ज्यादा दिखाई गई, जबकि इस साल बाढ़ और बीमारियों के कारण उत्पादन कम था. कई जिलों में बाजरा की भी फर्जी खरीद की खबरें आईं. गोदामों और राइस मिलों के भौतिक सत्यापन में सामने आया कि दिखाया गया स्टॉक हकीकत से कहीं कम है, जिससे करोड़ों की हेराफेरी का संदेह मजबूत होता है.

निष्पक्ष कार्रवाई की मांग 

अब तक करनाल जिले में पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है और लगभग 38 मंडी सचिवों सहित कई अधिकारियों को निलंबित किया गया है. राज्य सरकार ने चावल मिल मालिकों और मंडी निरीक्षकों को भी गिरफ्तार किया है. लेकिन SKM का आरोप है कि इस घोटाले में शामिल बड़े अधिकारी और सत्ताधारी दल के कई प्रभावशाली लोग अभी भी सुरक्षित हैं. इनके खिलाफ न तो कोई आरोप तय हुआ है और न ही गिरफ्तारी. इसी कारण SKM ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के कार्यरत जज से न्यायिक जांच करवाने की मांग की है ताकि निष्पक्ष कार्रवाई हो सके.

MSP पर धान बेचने का घोटाला

इस घोटाले में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया है- अन्य राज्यों से सस्ता धान खरीदकर हरियाणा में MSP पर बेच दिया गया. बिहार, जहाँ मंडियाँ ही नहीं हैं, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से धान या निम्न गुणवत्ता का चावल लाकर हरियाणा में सरकारी खरीद दिखा दी गई. सरकारी रिकॉर्ड में किसानों को पूरा MSP भुगतान दिखाया गया, जबकि असल में किसानों को नकद में कम पैसा दिया गया और बाकी रकम बिचौलियों और मिल मालिकों ने हड़प ली. इससे राज्य सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि व्यापारियों और दलालों की जेब भरती रही.

पोर्टलों और सिस्टम का दुरुपयोग कैसे हुआ?

हरियाणा में शुरू किए गए “मेरी फसल मेरा ब्योरा” और “क्षतिपूर्ति पोर्टल” जैसे पोर्टलों का भी बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया. सरकारी पोर्टलों में फर्जी एंट्री, नकली गेट पास, गलत OTP और अवैध रजिस्ट्रेशन का इस्तेमाल करके धान खरीद की पूरी प्रक्रिया में हेराफेरी की गई. कई मामलों में अनाज के परिवहन के लिए उन वाहनों के नंबर का उपयोग किया गया जो कार या छोटे वाहन थे, यानी असल में कोई परिवहन हुआ ही नहीं. किसानों के आंदोलन ने इन सब मामलों की शिकायत पहले भी की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

बिहार और UP में भी सख्त कदम उठाए जाएं

SKM ने बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकारों से आग्रह किया है कि वे MSP से कम कीमत पर फसल खरीदने वाले व्यापारियों और बिचौलियों पर सख्त कार्रवाई करें. दोनों राज्यों में या तो मंडियां नहीं हैं या बहुत कम हैं. SKM का कहना है कि किसानों को MSP का लाभ तभी मिलेगा जब मंडियाँ, तौल केंद्र और खरीद व्यवस्था सभी राज्यों में मजबूत होगी और सख्त निगरानी होगी.

किसानों से SKM की अपील

SKM का कहना है कि किसानों को MSP के पूरे भुगतान और C2+50% फॉर्मूले पर आधारित MSP कानून की मांग को और मजबूत करना चाहिए. किसानों से अपील की गई है कि वे अपने स्थानीय स्तर पर आंदोलन को तेज करें ताकि सरकार इस घोटाले की पारदर्शी जांच करवाए और खरीद व्यवस्था में सुधार लाए.

यह घोटाला सिर्फ पैसे का नुकसान नहीं है, बल्कि किसानों के विश्वास और मेहनत पर करारा प्रहार है. जब तक इस पूरे मामले की निष्पक्ष और व्यापक जांच नहीं होती, तब तक किसानों को पूरा MSP मिलना मुश्किल है. अब ज़रूरत इस बात की है कि सिस्टम में सुधार हो, बड़ी मछलियां पकड़ी जाएं और किसानों का हक सुरक्षित किया जाए.

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