अकोला की सूत मिल को मिला 36 करोड़ का स्‍पेशल पैकेज, कपास किसानों को मिलेगी राहत

अकोला की सूत मिल को मिला 36 करोड़ का स्‍पेशल पैकेज, कपास किसानों को मिलेगी राहत

महाराष्ट्र सरकार ने अकोला की नीलकंठ सहकारी सूत मिल को 36 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक मदद मंजूर की है. 2014 से बंद यह मिल वित्तीय गड़बड़ियों के कारण ठप थी. फैसले पर विवाद है क्योंकि मिल भाजपा विधायक रंधीर सावरकर से जुड़ी है.

Cotton farmers NewsCotton farmers News
क‍िसान तक
  • Mumbai,
  • Sep 18, 2025,
  • Updated Sep 18, 2025, 1:28 PM IST

महाराष्ट्र सरकार ने अकोला जिले की नीलकंठ सहकारी सूत मिल को 36 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक मदद देने का फैसला किया है. यह फैसला मंगलवार 16 सितंबर 2025 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया. सूत मिल वर्ष 2014 से वित्तीय कुप्रबंधन और घाटे के कारण बंद है. सरकार ने इस पैकेज को समेकित एवं सतत वस्त्र नीति 2023-28 के तहत “विशेष मामले” के रूप में मंजूरी दी है. साथ ही शर्त रखी गई है कि मिल को अब तक मिली सभी आर्थिक मदद एकमुश्त वापस करनी होगी.

स्‍पेशल पैकेज देने पर विवाद

इस फैसले को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य के वित्त और योजना विभाग ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी, लेकिन मंत्रिमंडल ने इसे पारित कर दिया. विपक्षियों का आरोप है कि सरकार ने जनता के पैसे का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया है, क्योंकि यह सूत मिल भाजपा विधायक और पार्टी के मुख्य सचेतक रंधीर सावरकर से जुड़ी हुई है.

विधायक ने कही ये बात

विपक्ष का कहना है कि इससे गलत परंपरा शुरू होगी और वित्तीय अनुशासन पर आंच आएगी. साथ ही उन्होंने इस पूरे मामले की जांच और पारदर्शिता पर जवाब मांगा है. वहीं, विधायक रंधीर सावरकर ने इस फैसले का स्वागत किया. उन्‍होंने कहा कि यह पूरे विदर्भ क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन है. 11 वर्षों की लगातार कोशिशों के बाद अब सूत मिल दोबारा चालू हो सकेगी. इसके चलते कपास किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी और क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

सस्‍ते इंपोर्ट के फैसले ने बढ़ाई टेंशन

बता दें कि महाराष्‍ट्र में खरीफ सीजन में प्रमुख रूप से कपास की खेती होती है, जिससे लाखों किसानों की आजीव‍िका जुड़ी हुई है. लेकिन, हाल में सरकार की ओर से लिए गए फैसलों के चलते किसानों की टेंशन बढ़ी हुई है. दरअसल, सरकार ने अगले कुछ महीनों के लिए 11 प्रति‍शत इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी है, जिससे विदेशी कपास का आयात सस्‍ता हो गया है. ऐसे में घरेलू कपास के दाम गिर गए हैं और किसानों को एमएसपी मिलना मुश्किल हो गया है. (अकोला से धनंजय साबले के इनपुट के साथ रित्‍विक भालेकर की रिपोर्ट)

MORE NEWS

Read more!