बिहार के दरभंगा में जिले में एक बेहतरीन तस्वीर देखने को मिली. दरअसल, मृत होते एक विशाल पेड़ को बड़ी सिद्दत के साथ दरभंगा के कुछ शिक्षाविद लोग बचाने के लिए न सिर्फ सामने आए बल्कि जो पेड़ कुछ महीने पहले तेज बारिश और आंधी की वजह से जमीन पर पूरी तरह से गिर पड़ा था, उसे दोबारा लगाई गई. पेड़ के जड़ का कुछ हिस्सा जमीन से जुड़ा होने के कारण पेड़ की पत्तिया बिलकुल हरि और ताज़ी थी.
इस पेड़ को बचाने के लिए एक बुलडोजर की मदद से पेड़ के जड़ के पास बड़ा गड्डा किया गया, और किरान की मदद से पेड़ में जंजीर बांध कर फिर से उसे खड़ा कर दिया गया. बाद में इसी बुलडोजर की मदद से पेड़ की जड़ो में मिटटी भी दाल दी गई, ताकि पेड़ को नया जीवन मिल सके. बात इतने पर ही खत्म नहीं हुई बल्कि इस पेड़ को देखने और इसके फिर से पुनर्जन्म के लिए 30 दिसंबर को पूसा कृषि विश्विद्यालय से वैज्ञानिक भी आने वाले है, जो इस पेड़ को देख उचित मेडिसिन भी देगें.
दरअसल, पूरा मामला दरभंगा राजपरिसर के ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी कैम्पस का है, जहां यह पेड़ पिछले कुछ महीनों से गिरा पड़ा था. तब वनस्पति विभाग के प्रोफेसर विद्यानंद झा की नजर इस पेड़ पर गई इसके बाद उन्होंने इस पेड़ के बाड़े में जानकारी के लिए इसकी तस्वीर बोटेनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया को भेजा तब पेड़ के बारे में वस्तृत जानकारी मिली. जिसमे बताया गया की यह पेड़ फाइकस रटूजा नाम का पेड़ बताया गया, जो रेयर होता है.
इसके बाद कुछ लोगों से इस पेड़ को बचाने की चर्चा की इसके बाद लोगों का साथ मिला और मरते हुए पेड़ को नया जीवन देने का काम किया गया. यह समाज में भी बड़ा मैसेज देने का काम है की पेड़ बचेगा तभी जीवन बचेगी. इस काम में शहर के प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषयग डॉक्टर रामबाबू खेतान, LNMU के परीक्षा नियंत्रक और रजिस्टर डॉक्टर इरषान अली, पर्यावरण बचने के लिए हजारों पेड़ लगने वाले डॉक्टर अशोक कुमार , LNMU के स्टेट ऑफिसर कामेश्वर चौपाल, तालाब बचाओ अभियान से जुड़े अजित चौधरी सहित कई लोग यहां उपस्थित थे.
वनस्पति विभाग के प्रोफेसर विद्यानंद झा ने बताया की तक़रीबन तीन माह पहले हुए झमाझम बारिश और तेज़ आंधी की वजह से यह पेड़ गिर गया था, लेकिन जमीन पर गिर जाने के बाद भी इसके पत्ते बिलकुल हरे दिखाई दे रहे थे, जब मेरी नजर इस पेड़ पर गई इसके बाद इस पेड़ के बाड़े में जानकारी के लिए इसकी तस्वीर बोटेनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया को भेजा, तब पेड़ के बारे में वस्तृत जानकारी मिली. जिसमे बताया गया की यह पेड़ फाइकस रटूजा नाम का पेड़ बताया है, जो रेयर होता है.
दरभंगा शहर के प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषयग डॉक्टर रामबाबू खेतान ने कहा की वे पर्यावरण को लेकर काम करते रहते हैं. लोगों को भी पर्यावरण को बचाए रखने की जरूरत है. ये जो पेड़ है यह बहुत पुराना पेड़ है. इसकी उम्र तकरीबन पचास से सौ वर्ष है. इसे आज बचाने का काम किया गया है.
वहीं, 30 दिसंबर को पूसा कृषि विश्विद्यालय से यहां वैज्ञानिक भी आ रहे है .उन्हें भी इस पेड़ को दिखा कर इसे बचने के लिए उचित मार्गदर्शन लेंगे. पर्यावरण में सभी का अपना महत्त्व है चाहे पेड़ पौधे हो यह जिव जंतु सभी का प्रकृति का एक इको सिस्टम है इसे बनाए रखने की जरुरत है. अगर पौधा पेड़ नहीं हो तो हमलोग भी जीवित नहीं रह पाएंगे.
LNMU के परीक्षा नियंत्रक और रजिस्टर डाक्टर इरषान अली ने बताया की पेड़ को बचाना तो बहुत जरुरी है ही, लेकिन आज इस बात की हमे बेहद ख़ुशी है की यहां वैसे डॉक्टर उपस्थित है, जो लोगों की जान बचाने का काम करते थे, लेकिन आज एक पेड़ को बचाने के लिए आगे आये है. यहां दरभंगा महाराज के परिसर में बहुत ऐसे पेड़ है को बहुत रेयर है. ऐसा शायद ही होगा जो वृक्ष यहां नहीं थे मुझे तो ज्यादा जानकारी नहीं. लेकिन यह सुनंने में आता है सभी पेड़ को बचाने का काम किया जाना चाहिए. (प्रहलाद कुमार की रिपोर्ट)