मॉनसून का मौसम आते ही गन्ने की फसल तेजी से बढ़ने लगती है, और इसी समय गन्ने को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है. रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव इस समय मुश्किल हो जाता है, और बारिश के कारण उनका असर भी कम हो जाता है, जिससे किसानों की लागत बढ़ जाती है.
हाल के वर्षों में बोरर कीटों से गन्ने की फसल का काफी नुकसान देखा जा रहा है, जिसमें चोटी बेधक कीट (टॉप शूट बोरर) सबसे अधिक हानिकारक है, जो मार्च से लेकर फसल की कटाई तक नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा, जड़ बेधक (रूट बोरर) और तना बेधक (स्टेम बोरर) भी गन्ने को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं.
चोटी बेधक या टॉप शूट बोरर: यह कीट गन्ने की फसल में मार्च से सितंबर तक सभी अवस्थाओं में हमला करते हैं. इसके प्रकोप से गन्ने की पत्तियां सूखने लगती हैं और पौधे मुरझा जाते हैं, जिसे डेड हार्ट कहते हैं. गन्ने की मध्य शिरा में एक लाल धारी पड़ जाती है और विकसित गन्ने में झाड़ीनुमा सिरा बन जाते हैं, जिससे फसल की वृद्धि रुक जाती है.
जड़ बेधक या रूट बोरर: इस कीट की सूंडी (लार्वा) छोटे और बड़े, दोनों ही पौधों पर पाई जाती है. सूंडी जमीन से लगे गन्ने के निचले हिस्से में सुराख बनाकर अंदर घुस जाती है और पौधे को नुकसान पहुंचाती है, जिससे पौधे सूख जाते हैं. सूखे हुए पौधों से कोई दुर्गंध नहीं आती, जिससे इसका पता लगाना और नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है.
तना बेधक या स्टेम बोरर: तना बेधक कीट का प्रकोप विशेष रूप से बारिश के बाद जल भराव की स्थिति में अधिक होता है. यह कीट तनों में छेद करके अंदर प्रवेश कर जाता है और पोरियों के अंदर का गूदा खा जाता है, जिससे उपज में भारी कमी आती है.
महंगे रासायनिक कीटनाशकों के बजाय, किसान अब ट्राइकोकार्ड का उपयोग करके इन कीटों को नियंत्रित कर सकते हैं. एक ट्राइकोकार्ड की कीमत बाजार में लगभग 50 रुपये होती है, और गन्ने के एक खेत के लिए आमतौर पर दो कार्ड की जरूरत होती है. यानी कुल 100 रुपये का खर्च.
एक ट्राइकोकार्ड में परजीवी कीट ट्राइकोग्रामा (Trichogramma) के लगभग 10,000 अंडे होते हैं. इन कार्डों को चार-चार टुकड़ों में काटकर खेत में गन्ने की निचली पत्तियों पर रस्सी या स्टेपलर से बांध दिया जाता है. कार्ड में मौजूद परजीवी कीट तितली बनकर निकलते हैं और गन्ने के दुश्मन कीटों जैसे चोटी बेधक, जड़ बेधक और तना बेधक के अंडों को खा जाते हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ती ही नहीं.