PHOTOS: इस तरह रखें गर्भवती गाय का ध्यान, बछड़ा होगा तंदुरुस्त

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PHOTOS: इस तरह रखें गर्भवती गाय का ध्यान, बछड़ा होगा तंदुरुस्त

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देश में पशुपालन अब तेजी से बिजनेस का रूप ले रहा है. दूध और इससे बने उत्पाद बेचकर कई किसान तो लाखों रुपये भी कमा रहे हैं. लेकिन पशुपालन से किसानों की कमाई तभी तक होगी, जब उनकी दुधारू गाय हेल्दी रहेगी. इसके लिए गाभिन गाय की अच्छी तरह से देखरेख करनी होगी. अक्सर पशुपालक अपनी गाभिन गाय का खयाल नहीं रखते हैं जिससे वह स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं देते हैं और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है.

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इसके अलावा कई बार पशुपालकों के लिए यह समस्या होती है कि जब गाय गर्भवती हो तो उसे क्या खिलाएं, जिससे पशुओं के बच्चों का विकास अच्छे से हो सके क्योंकि कई बार पशुओं को बेहतर पोषक तत्व न देने से गाय के बच्चे पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि पशुपालकों को गर्भवती गाय को क्या खिलाना चाहिए और कैसे खयाल  रखना चाहिए.

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बात करें गर्भवती गाय को पोषक तत्व खिलाने की तो एक्सपर्ट के अनुसार, गाय को इस अवस्था में प्रतिदिन एक से डेढ़ किलो दाने का मिश्रण खिलाना चाहिए. इसके अलावा ब्यांत से कुछ दिनों पहले सामान्य खुराक में प्रतिदिन 100 मि.ली कैल्शियम का घोल पिलाएं. वहीं पशुओं के ब्यांत के बाद आसानी से पचने वाला आहार खिलाएं.
 

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जिसमें गेहूं का चोकर, गुड़ और हरा चारा देना चाहिए. साथ ही ये भी ध्यान देना होता है कि पशुओं को उस समय ठंडा पानी नहीं न दें. इसके अलावा गर्भवती गाय को अंतिम तीन महिने में 10 से 15 किलो हरा चारा खिलाना चाहिए. इसके अलावा ब्यान से लगभग 15 दिन पहले तक गर्भवती गाय-भैंस को 2 से ढाई किलो तक दाना खिलाना चाहिए.
 

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वहीं, गौशाला में साफ-सफाई अच्छी तरह से रखनी चाहिए. मवेशियों को हमेशा शांत और स्वच्छ वातावरण में ही बांधें, इसका ध्यान रखना चाहिए. अगर गर्मी का मौसम है तो गौशाला में पंखा और कूलर लगा दें. इससे गायों को गर्मी से राहत मिलती है. वहीं, सर्दी के मौसम में आग की व्यवस्था कर दें. इससे गौशाला का वातावरण गर्म हो जाएगा.

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वहीं, गर्भकाल के अंतिम तीन महीनों के दौरान गर्भवती गाय की सही तरह से देखभाल करनी चाहिए. इस अवधि के दौरान गाभिन पशुओं का वजन 20 से 30 किलो तक बढ़ना चाहिए. अगर आप गाभिन पशुओं को पौष्टिक आहार देंगे, तो ब्याने के बाद उनका दूध का उत्पादन भी अच्छा रहेगा.

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गाय का गर्भकाल लगभग 282 दिनों का होता है. पशुओं के शरीर में बच्चे का विकास गर्भकाल के 6 से 7 महीने में धीमी गति से होता है. वहीं अंतिम तीन महीनों में विकास बहुत तेजी से होता है. ऐसे में गर्भवती पशुओं की देखभाल और उनके पोषण में विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा पशुओं को लंबी दूरी तक चलाना भी फायदेमंद होता है.

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