नई उम्र का पशु हो या एक-दो बच्चा दे चुकी गाय-भैंस, सभी को पोषण से भरपूर एक अच्छी खुराक की जरूरत होती है. जब खुराक अच्छी होगी तो दूध उत्पादन भी भरपूर मिलेगा. इसलिए ये जरूरी है कि पशुओं की खुराक में चारा, मिनरल और दाना सभी शामिल हो.
लेकिन जरूरत के मुताबिक पशु अपनी खुराक तभी लेता है जब उसका पेट सही हो. अगर पेट जरा सा भी खराब है तो पशु खाना-पीना छोड़ देते हैं. ऐसे में इसका सबसे ज्यादा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. वहीं, पशु के पेट खराब होने की भी कई वजह होती हैं.
पशु का पेट खराब होना यानी अफरा होना. ये पशुओं की आम परेशानी है. इसकी मुख्य वजह हरा चारा भी है. लेकिन जरूरी है कि पशु का पेट खराब होते ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाए, नहीं तो पशु खाना-पीना छोड़ देता है.
रसदार हरा चारा जैसे रिजका, बरसीम ज्यादा खा लेने से से पशु का पेट खराब हो सकता है. इसके अलावा ज्यादा स्टार्च वाले अनाज गेहूं, मक्का, बाजरा ज्यादा मात्रा में खा लेने से भी पशु को अफरा हो सकता है. साथ ही पशुओं की खुराक में अचानक परिवर्तन कर देने से भी उनका पेट खराब हो सकता है.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु का पेट खराब यानी अफरा होने पर पशु के बाई ओर की साइड का पेट फूल जाता है. वहीं, पेट का आकार बढ़ा हुआ दिखाई देता है. इससे पशु को सांस लेने में दिक्कत होती है. साथ ही पशु मुंह खोलकर जीभ बाहर निकालकर सांस लेता है.
इसके अलावा पशु के पेट खराब होने पर वो बैचेन और सुस्त दिखाई देता है. बार-बार थोड़ा-थोड़ा गोबर-पेशाब करता है. ऐसे में पशुओं का सही समय पर उपचार नहीं किया जाए तो पशु की मौत भी हो सकती है. इसलिए ऐसी लक्षण दिखने पर पशुपालक पशु डॉक्टर से संपर्क करें.
बात करें बचाव कि तो पशु को अफरा होने पर पशु का खाना बंद कर देना चाहिए. इसके अलावा पशु को ढलान वाली जगह पर खड़ा कर देना चाहिए. इससे पशु के आगे वाला हिस्सा ऊंचा रहेगा और पीछे वाला नीचे. वहीं, ढलान पर खड़ा करने से पशु को सांस लेने में परेशानी नहीं होती है.