पश्चिम बंगाल के मालदा में राशन बांटने की योजना को लेकर लोगों में असंतोष है. इसे लेकर राशन की दुकान के खिलाफ लोगों में असंतोष है. यहां के मालदार गाजोल के भैसपुर इलाके में घर-घर राशन की शुरुआत की गयी थी. यहां देखने में आया है कि चावल तो अच्छा दिया जा रहा है, लेकिन आटे की मात्रा कम है. गुणवत्ता भी खराब है. इसलिए ग्रामीणों की शिकायत है कि बेहद निम्न गुणवत्ता का कड़वा आटा दिया जा रहा है.
जब इस मामले की जानकारी राशन डीलर दीपक दास को दी गई तो उन्होंने कहा कि गोदाम से हमें जो भी सामान दिया जाता है, वह ग्रामीणों को दिया जा रहा है. ग्राहकों से कहा गया कि वे इस मामले में राशन अधिकारियों से बात करें. फिर भी ग्रामीण नहीं माने कोई समाधान न होने पर राशन का बहिष्कार कर दिया.
सरकारी राशन की दुकान में राशन ख़त्म है. आटे की कम मात्रा की सप्लाई हो रही है. इसलिए लाभार्थी परेशान हैं. इलाके में तनाव की घटनाएं हुई हैं. क्षेत्रवासियों ने राशन सामग्री की खरीद का बहिष्कार कर राशन डीलर का घेराव कर प्रदर्शन किया. पश्चिम बंगाल में राशन को लेकर इस तरह की घटना होना चौंका रहा है. घटना मालदा जिले के गाजोल थाना अंतर्गत भैषपुकुर इलाके की है. सवाल यह है कि क्या गरीबों को राशन देने वाली योजना में किसी ने उनका हिस्सा खा तो नहीं लिया.
इलाके के रहने वाले मंजूर हक ने शिकायत की कि राशन में जो आटा दिया जा रहा है, वह एक्सपायर हो चुका है. उसे इस्तेमाल करने की मियाद खत्म हो गई है. इसलिए उसे बनाकर खाना ठीक नहीं है. घटिया क्वालिटी का आटा दिया जा रहा है.
घटिया क्वालिटी का आटा दिया जा रहा है. आटा इतना कड़वा है कि खाने लायक नहीं रह गया है. अधिकारी हमसे ऑफिस आकर बात करने को कह रहे हैं. राशन अधिकारियों और दुकानदार क्यों ऐसा आटा दे रहे हैं. हम गरीब लोग शिकायत कैसे कर सकते हैं. इस घटना के विरोध में क्षेत्रवासियों ने राशन डीलर को राशन सामग्री के साथ पकड़कर विरोध प्रदर्शन किया.
प्रभावित लोगों ने इतने खराब आटा का बहिष्कार किया है कि वो इसे न लेंगे न खाएंगे. हालांकि, स्थानीय निवासियों की शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए, राशन डीलर दीपक दास ने पूरी जिम्मेदारी आपूर्ति कंपनी पर डाल दी. उन्होंने कहा, जो सामान आता है उसे वितरित किया जाता है. आटा तोलकर दिया जाता है. कुछ मामलों में आटे का वजन कम है. हमने राशन अधिकारियों को राशन बहिष्कार के बारे में सूचित कर दिया है. यह बहुत चौंकाने वाला मामला है कि आटे जैसी बेसिक चीज के लिए गरीब लोगों को प्रदर्शन करना पड़ रहा है.