खेतों में धान की फसल पक कर तैयार हो चुकी है. किसान अपनी फसलों को लेकर मंडियों में आ रहे हैं, लेकिन पहले मंडियों में मजदूर उसके बाद आढ़ती हड़ताल पर चले गए. इसकी वजह से कुछ दिनों तक फसल नहीं बीकी. कुछ दिनों बाद जैसे ही खरीद शुरू हुई, तो पंजाब भर के करीब 5500 सेलर मालिक अपनी मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए.
इससे मंडियों में अफरा-तफरी का माहौल हो गया और किसान परेशान हो गए. हालत ये हो गई कि हड़ताल की वजह से मंडियों से धान की लिफ्टिंग नहीं हो रही है. फिलहाल अभी मंडियों में कुछ परसेंट ही धान की फसल आई है. अगर हड़ताल कुछ दिन और चली तो मंडियों के हालात बिगड़ जाएंगे.
दरअसल जब अधिक मात्रा में किसान अपनी उपज को लेकर मंडियों में पहुंचेंगे तो किसानों को उनकी उपज रखने के लिए जगह नहीं मिलेगी. मंडियों में हड़ताल के कारण धना की बोरियां भर जाएंगी, क्योंकि सेलर मालिकों ने साफ कर दिया है कि एफसीआई और केंद्र सरकार अगर उनकी मांग को नहीं मानती है तो वे मंडी से धान नहीं उठाएंगे.
सेलर मालिक एफसीआई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. मंडियों के सेलरों में फोर्टीफाइड चावल को लेकर रोष है. मामला कुछ यूं है कि सेलर चावल मिलों से फोर्टीफाइड राइस खरीदते हैं और उसे आगे सरकार तक सप्लाई करते हैं. लेकिन सेलरों की शिकायत है कि वे जब मिलों से चावल खरीदते हैं और उसमें क्वालिटी कुछ खराब निकल गई तो इसका खामियाजा उन्हें ही भुगतना होता है. इसी बात को लेकर सेलर हड़ताल पर हैं.
दूसरी और मंडी में मजदूर और किसान परेशान हैं. एक तरफ मजदूर अपनी पगार को लेकर विरोध में हैं और उनका कहना है कि मेहनताना बढ़ाया जाए, लेकिन अभी तक बढ़ोतरी का फैसला नहीं हुआ है. दूसरी ओर किसान इस बात से परेशान हैं कि मजदूरों की हड़ताल के चलते उनका धान नहीं उठ रहा है. मंडी में धान की लिफ्टिंग नहीं हो रही क्योंकि इसके लिए मजदूर उपलब्ध नहीं हैं.
किसानों का कहना है कि अभी तो कुछ परसेंट धान ही मंडी में आई है. अगर ऐसा ही चला तो उनकी फसल मंडी में खराब होगी. वहीं अधिक धान आने से रखने के लिए जगह नहीं होगी. किसानों ने साफ तौर पर कहा कि अगर हड़ताल करनी होती है तो समय से पहले करनी चाहिए. किसानों ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इसका कोई हल निकालना चाहिए.