राणा ने बताया कि भारत में पहली बार पशुधन गणना की शुरुआत 1919 में हुई थी. इसके बाद से हर पांच साल में यह कराई जाती है. इसमें गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट, घोड़ा आदि विभिन्न प्रजातियों के पशुओं के साथ-साथ मुर्गियों, पक्षियों आदि की गणना की जाती है.
मंत्री ने बताते हुए कहा कि पशुधन गणना से पशुपालन से जुड़े लोगों के पास कौन-कौन से डेयरी उपकरण हैं, इसके बारे में जानकारी निकलकर सामने आएगी. यह जानकारी देश और प्रदेश के पशुधन क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के लिए जरूरी है.
मंत्री ने जानकारी दी कि हरियाणा सरकार ने राज्य में कुल 2,928 पशु चिकित्सा संस्थानों का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है. इनमें 1,079 पशु चिकित्सालय बनाए गए हैं. फिर 1,796 पशु औषधालय मौजूद हैं.
7 पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक या पालतू पशु केंद्र बनाए गए हैं. इसके बाद 41 पैरा-क्लिनिकल या सहायक संस्थान और हिसार में राजकीय पशुधन फार्म भी शामिल है.
पशुपालन और डेयरी मंत्री ने जानकारी दी कि अलग-अलग जिलों में 70 मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट (वैन) चलाई जा रही हैं. पशुपालक टोल फ्री नंबर 1962 पर फोनकर अपने गाय-भैंस, बकरी आदि के स्वास्थ्य और प्रजनन सेवाओं का लाभ अपने द्वार उठा सकते हैं. उन्होंने राज्य में दूध उत्पादन को लेकर भी जानकरी दी. कहा कि प्रदेश में वार्षिक दूध उत्पादन बढ़कर 119.65 लाख टन हो गया है.
राणा ने कहा कि राज्य में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ी है, जो देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता से दो गुना से ज्यादा है. राज्य में 1098 ग्राम प्रतिदिन उपलब्धता है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 459 ग्राम की उपलब्धता है.
उन्होंने कहा कि सरकार दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्पादकता को विकसित देशों के उन्नत पशुओं के स्तर तक ले जाने की जरूरत है. इस पर काम किया जा रहा है.