देश के कई राज्यों में उमस वाली गर्मी पड़ रही है. ये मौसम तालाब में पलने वाली मछलियों के लिए नुकसानदेह होता है. वहीं, गर्मियों के मौसम में मछली पालन करने वाले किसानों की चिंता बढ़ जाती है क्योंकि इस मौसम में तालाब का पानी में उमस बनी रहती है. ऐसे में किसानों को अपने तालाबों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. अगर मछलियों की देखरेख में थोड़ी भी लापरवाही हुई तो उनकी मौत दर बढ़ जाती है.
ऐसे में मछली पालकों को फायदे के बदले बड़ा नुकसान होता है. इन्ही नुकसान से बचने के लिए बिहार के पशु एवं मत्स्य संस्थान ने मछली पालक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी पर मछली पालकों को विशेष ध्यान देना चाहिए.
- मछली पालकों को जून-जुलाई के महीने में पहले पुरानी मछलियों को निकालकर नए मछलियों के लिए तालाब की तैयारी कर लेनी चाहिए.
- इसके बाद भारतीय और विदेशी कार्प मछलियों का प्रजनन शुरू कर देना चाहिए.
- मछली पालक हैचरी/हापा ब्रीडिंग के प्रबंधन और संचालन के लिए विशेषज्ञों से समय-समय पर सलाह लेते रहें.
-यदि तालाबों की जल निकासी संभव न हो तो खरपतवार निकाल कर बचे हुए, मछलियों को मारने के लिए महुआ की खली का प्रयोग करें. उसके 15 दिनों के बाद नए मछलियों के बीज को डालें.
-बारिश के बाद चूना 15-20 किलो प्रति एकड़ की दर से घोल कर तालाब के जल के ऊपर छिड़काव करें.
-अत्याधिक गर्मी और असम बढ़ने के कारण और अचानक बारिश होने के कारण तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की कमी हो जाती है ऐसी परिस्थिति आने पर तालाब में एयर रेट का प्रयोग करें.
-तालाब के पानी को तालाब में ही पंपसेट चला कर (एयर सेट करें) या घुलनशील ऑक्सीजन बढ़ाने वाली टैबलेट का प्रयोग करें . साथ ही तालाब में मछली के घनत्व को कम करें.
वहीं तालाब में मछली के नए बीज डालने के के 7-10 दिनों के बाद खाद (कम्पोस्ट) डालना चाहिए.
-मछली पालक जून के अंतिम सप्ताह में तालाब में मछली का औसत वजन 100 ग्राम का 2000 बीज और औसत वजन 50 ग्राम का 4000 बीज प्रति एकड़ की दर से डालें.
-मछली का बीज लाने का सही समय हमेशा रात में या 10 बजे सुबह से पहले है.
-तालाब में मछलियों को संक्रमित होने से बचाने के लिए 30-45 दिन पर 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटेशियम परमैंगनेट का छिड़काव करते रहें.
-मौसम खराब रहने यानी अत्यधिक गर्मी, आर्द्रता वर्षा रहने पर भोजन का प्रयोग आधा कर दें.
इस समय बाजार में मछली की मांग बहुत ज्यादा है. वहीं, मछली पालन उद्योग शुरू करने के लिए ज्यादा पूंजी की भी आवश्यकता नहीं होती है. यह उद्योग कम खर्च में अधिक उत्पादन देने वाला है. इसे छोटे और बड़े दोनों स्तर पर शुरू किया जा सकता है. इसके लिए सरकार की ओर से सहायता भी मुहैया करायी जाती है.
इस उद्योग से प्राप्त होने वाला मुनाफा इसमें होने वाले खर्च से लगभग 5 से 10 गुना अधिक होता है. जिससे किसानों को अच्छी खासी कमाई हो जाती है.