चुकंदर की खेती से किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं चुकंदर एक बहुत ही लाभकारी फल होता है. इसके सेवन से शरीर में खून बढ़ता है. यही कारण है कि एनिमिक लोगों को डाक्टर चुकंदर का सेवन करने की सलाह देते हैं. इसके इसी गुण के कारण इसे औषधी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. बाजार में मांग बनी रहती है,ऐसे में किसानों के लिए चुकंदर की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जानिए इसकी अच्छी क्सिमों के बारे में.
अर्ली वंडर - इस किस्म की चुकंदर चपटी एवं चिकनी होती है. इसकी पत्तियां हरे रंग की एवं जड़े लाल रंग की होती हैं. इस किस्म की फसल को तैयार होने में 55 से 60 दिनों का समय लगता है इसकी पैदावार सामान्य किस्म से अधिक मिलती है.
शाइन रेडबॉल- चुकंदर की शाइन रेडबॉल किस्म का कंद गोल व गहरे लाल रंग का होता है. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 30 से 32 सेंटीमीटर तक होती है। यह किस्म रबी, जायद और खरीफ तीनों सीजन में उगाई जा सकती है. इस किस्म के कंद का वजन 150 से 180 ग्राम तक होता है. इस किस्म को पककर तैयार होने में 50 से 60 दिन का समय लगता है.
डेट्रॉइट डार्क रेड - इस किस्म के चुकंदर गहरे लाल रंग के होते हैं. फलों का आकार गोल एवं चिकना होता है. पौधों की पत्तियां हरे रंग की एवं लंबी होती है. इस किस्म की खेती करने पर किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. बाजार में इस किस्म के चुकंदर अधिक डिमांड रहती है.
अशोका रेडमेन - अशोका-रेडमेन किस्म की पत्तियां चौड़ी होती है और इसका मध्य शिरा गुलाबी रंग का होता है. इसके कंद चिकने, गोल, तिरछे तथा लाल रंग के होते हैं. इसके कंद का वजन 150 से 180 ग्राम तक होता है. इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है. इस किस्म को जायद, रबी और खरीफ तीनों सीजन में उगाया जा सकता है. इसकी फसल 65 से लेकर 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
कलश एक्शन- चुकंदर की इस किस्म की बुवाई रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजन में की जा सकती है. यह किस्म 50 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसके फल बहुत ही आकर्षक और गहरे लाल रंग के होते हैं. इसके कंद का वजन 100 से 150 ग्राम तक होता है. इस किस्म में 200 से लेकर 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.