हरियाणा में लगतार प्रगतिशील किसान अब बागवानी की तरफ अपना अधिक रुझान दिखा रहे हैं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान बागवानी की खेती में अधिक मुनाफा भी कमाना रहे हैं, ऐसे करनाल जिले के रहने वाले किसान नरेंद्र सिह चौहान भी उन प्रगतिशील किसानों में एक गिने जाते हैं, जिन्होंने निजी कम्पनी से 50000 रुपये की मासिक नौकरी को छोड़कर 14 एकड़ में बागवानी की खेती शुरू की और अब सालाना 50 लाख रुपए की इनकम कमा रहे हैं. नौकरी छोड़ किसान के नाम से जाने जाते है, नरेंद्र चौहान के फार्म पर देश भर से किसान उनकी बागवानी की खेती को देखने और उनसे खेती बाड़ी के बारे में जानने के लिए पहुंचते है.चौहान पिछले कई सालों से 14 एकड़ में बागवानी की खेती कर रहे हैं,
चौहान अन्य किसानों के लिए मिशाल बने हुए हैं. प्रगतिशील किसान नरेंद्र चौहान अगर अभी तक नौकरी करते रहते तो सिर्फ उन्हें 50 हजार सैलरी मिलती, यानी कि सालाना आय उनकी करीब 6 लाख रुपए होती, लेकिन अब नौकरी छोड़ बागवानी से साल में खर्चा निकालकर वो करीब 50 लाख रुपए बचा लेते हैं. साथ ही मदर प्लांट से पौधे तैयार कर कमाते हैं लाखों रुपए.
नरेंद्र सिह चौहान ने बताया खेती करना उनका ख़ानदानी पेशा है, उन्होंने खेती के साथ पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई कर एमएसडब्ल्यू करने के बाद चंडीगढ़ में नौकरी हासिल की , कुछ समय बाद अपने दोस्त के कहने और खेती की तरफ अपने रुझान को देखते हुए हॉर्टिकल्चर में नर्सरी के लिए लाइसेंस अप्लाई किया , जब उन्हें लाइसेंस मिल गया उसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर बागवानी की नर्सरी खेती शुरू की, बागवानी की खेती मैं उनका इस कदर रुझान था की उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर 1990 लवली नर्सरी राणा फ्रॉम की शुरुआत की, नरेंद्र चौहान बताते हैं 1995 में सबसे पहले अखनूर एरिया से गर्म इलाके से बादाम लाकर अपने फ्रॉम पर उन्होंने बादाम की खेती शुरू की थी, उसके बाद 2016 में पालमपुर से सेब के पेड़ लाकर तीन साल में सेब के पेड़ों से फल लाने के बाद सबको चौका दिया.
प्रगतिशील किसान नरेंद्र चौहान ने बताया उनके फार्म पर पूरे देश से किसान आते हैं और वह अच्छे तरीके से उन्हें जानकारियां लेते हैं और चौहान उन्हें उपलब्ध करवाते भी हैं, उन्होंने बागवानी की खेती 14 एकड़ में की हुई है, टोटल खेती 60 एकड़ करते हैं. बागवानी में उन्होंने सेब, बादाम, आड़ू, आलू बखारा, नाशपती, चीकू आम की सभी फल सीजन के हिसाब से उपलब्ध रहते हैं. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा किसान भाई लकीर के फकीर ना बने गेहूं धान को छोड़कर बागवानी की तरफ रुख करें और मुनाफा कमाए, किसान बागवानी और सब्जी की तरफ आए और अधिक मुनाफा कमा.
प्रगतिशील किसान नरेंद्र चौहान ने बताया सरकार की तरफ बाग लगाने वाले किसानों का सहयोग भी किया जाता है, दवाई खाद के लिए भी पैसे दिए जाते हैं. अगर कोई किसान नया बाग लगता है उस किसान को 50% की सब्सिडी भी दी जाती है. किसान 80% तक की सब्सिडी पर ड्रिप अपने खेतों में लगवा सकते हैं, वह सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ ले रहे हैं.
किसान ने बताया जब पेड़ो पर सेब के फल लगते है तब वह उन्हें कभी मार्किट में नही बेचने जाते उनके फार्म से ही लोग सेब को खरीद कर ले जाते हैं. अन्य सब्जियों की बात करे जिसमे, टमाटर, गोभी, नींबू, भी बड़ी मात्रा में उगाया जाता है. फिलहाल नींबू लहसुन की फसल उपलब्ध है. जिसे वह अपने खुद के खाने के इस्तेमाल करते हैं. बात साफ है नरेंद्र चौहान किसानों को जागरूक करते हैं, और किसानों को बागवानी की खेती करने के लिए जागरूक भी करते हैं.ताकि किसान बागवानी और सब्जी की खेती करके अधिक मुनाफा कमाना सके.
करनाल स्थित हॉर्टिकल्चर में बागवानी अधिकारी मदनलाल ने बताया बागवानी खेती की तरफ किसानों का रुझान इस लिए बढ़ने लगा है, क्योंकि बागवानी खेती में किसानों को अधिक मुनाफा होता है, सरकार द्वारा भी बागवानी की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी दी जाती है, अगर किसान बाग लगाए उसके लिए सब्सिडी है अगर किसान सब्जी लगाए सब्जी के लिए सब्सिडी है अलग है, मसाले दार सब्जियों के लिए 25000 रुपए एकड़ की सब्सिडी अलग है, नेट हाउस पोली हाउस पर भी सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाती है. उन्होंने कहा सरकार द्वारा किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए किसने की सुविधा के लिए हर जिले में बागवानी का ट्रेनिंग सेंटर बनाया है ताकि किसान ठीक तरीके से ट्रेनिंग लेकर बागवानी की खेती कर सके और अधिक मुनाफा कमा सके.