DBW377 करण बोल्ड किस्म की खेती किसानों के लिए बेहतर है. इसकी खेती के लिए खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरी करें. इसे 3 बार की खाद और कम से कम 5 बार सिंचाई की जरूरत होती है. इसे तैयार होने में करीब 140 दिन का समय लगता है, वहीं DBW377 का औसत उत्पादन क्षमता 86.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
गेहूं के खास किस्मों में HD 3385 का नाम खास है. इसे उगाने के लिए 25 अक्तूबर से 15 दिसंबर तक का समय सही होता है. खाद पानी की बात करें तो 100-150 किग्रा नाइट्रोजन, 60-80 किग्रा फॉस्फोरस और 40-60 किग्रा पोटाश दिया जाता है. रोपाई के साथ पहली खाद, 1 महीने के बाद दूसरी खाद और 45-60 दिनों के बाद तीसरी बार खाद दी जाती है. 20-25 दिनों के अंतराल में 5-6 बार की सिंचाई की जाती है. ये फसल करीब 150 दिनों के बाद तैयार होती है, उपज की बात करें तो 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आसपास है.
जल्दी उगाने के लिए 01 से 15 नवंबर और देर से बुवाई के लिए 15 नवंबर के आधे दिसंबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है. उगाने के लिए दो बार हैरो और फिर दो बार टिलर ऑपरेशन के साथ गहरी जुताई करें. खाद-पानी का तरीका भी सेम है. इसकी उपज दर अन्य किस्मों के मुकाबले थोड़ा कम बताई जाती है, प्रति हेक्टेयर औसतन 52 क्विंटल और प्रति एकड़ करीब 21 क्विंटल पैदावार होती है. फसल तैयार होने का औसतन समय 140 दिन का होता है.
ये गेहूं की अगेती किस्मों में खास तौर पर शामिल है. लेकिन इसे भी 15 दिसंबर तक उगाया जा सकता है. बात करें खेत के तैयारी की तो इसके लिए भी मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरी करना होता है और खेत की सफाई करनी होती है. पहली खाद बीजों के साथ और फिर बुवाई के 30 दिन बाद और तीसरी बार 45-60 दिनों के अंतराल में दिया जाता है. सिंचाई का तरीका भी अन्य किस्मों की तरह है जब आप 25-30 दिनों के अंतराल में 6 बार सींच सकते हैं. वहीं फसल तैयार होने की बात करें तो औसतन 150 दिन का समय लगता है.
HD 3390 गेहूं की खास किस्मों में शामिल है. पहली खाद बुवाई के समय, दूसरी बार बुवाई के 30 दिन बाद और तीसरी खाद 45-60 दिनों के बीच दी जाती है. सिंचाई की बात करें तो पहली बार रोपाई के 20-25 दिनों के अंतराल में उसके बाद हर 20 दिनों बाद 5-6 बार सींचें. औसतन 140 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. उपज करीब 62 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
डीबीडल्यू-303 गेहूं की खास किस्म इसे करण वैष्णवी गेहूं की एक खास किस्म है. ये एक उच्च उपज वाली और रोग प्रतिरोधी किस्म है, जो कम पानी और देरी से बुवाई के लिए भी बेहतर है. इस किस्म को साल 2021 में ही अधिसूचित किया गया है. इसकी खासियत यह है कि प्रति हेक्टेयर करीब 81 क्विंटल तक की पैदावार देती है, साथ ही ये किस्म बुवाई के बाद करीब 145 दिन में पककर तैयार हो जाएगी.
शरबती गेहूं मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने में उगाया जाता है. शरबती गेहूं दुनिया के सबसे अच्छी किस्मों में शुमार होता है. इसके दाने सोने की तरह चमकते हैं. इसको उगाने का तरीका भी अन्य किस्मों की तरह ही है, लेकिन इसको उगाने के लिए सामान्य जलवायु की जरूरत होती है, मध्य प्रदेश के सीहोर और विदिशा में खासतौर पर होती है.