किसान अगर नवंबर-दिसंबर में भिंडी की खेती करेंगे तो अच्छी कमाई हो सकती है. भिंडी की यह फसल मार्च से निकलने लगती है जिसका बाजार में बढ़िया रेट मिलता है. हालांकि, सर्दियों में भिंडी की खेती में कुछ समस्याएं आती हैं, जैसे बढ़वार की कमी और अंकुरण में देरी.
ऐसे में किसानों को सर्दियों में भिंडी की खेती करने से पहले एक बार खेती की समस्याओं के बारे में जरूर सोच लेना चाहिए. इससे उन्हें भविष्य की चिंताओं को दूर करने में आसानी होगी. किसान इसके लिए अगर भिंडी की उन्नत किस्मों का चयन करते हैं तो पैदावार अधिक मिलेगी.
इसमें राधिका, नाधानी की 862, नूनहेम्स सिंघम और इंडाम 9821 बीज लगा सकते हैं. सिंजेंटा की 102 बीज भी लगा सकते हैं. उन्नत किस्मों को लगाने का फायदा ये होता है कि सर्दियों के दिनों में भी भिंडी की पैदावार अच्छी होती है और अंकुरण सही होता है.
अगर पैदावार ठीक नहीं हो तो किसानों को इसका उपाय करना चाहिए. इसके लिए किसान 200 लीटर पानी में 30 किलो सरसों की खली मिलाकर इसमें 3 किलो गन्ने का गुड़ मिलाएं. इसको अच्छे ढंग से मिक्स करें और चार दिन के लिए छोड़ दें. इसके बाद जो मिश्रण तैयार होगा उसे सिंचाई के पानी में मिलाकर खेत में डालें.
यह मिश्रण एक एकड़ खेत के लिए है. इस मिश्रण के इस्तेमाल से भिंडी के पौधों को अच्छी पैदावार मिलेगी. साथ ही किसान चाहें तो इस मिश्रण में ह्यूमिक एसिड मिलाकर भी सिंचाई के पानी के साथ खेत में डाल सकते हैं.
भिंडी के पौधे से अधिक पैदावार लेने के लिए बुवाई की विधि का भी ध्यान रखना होगा. इसमें पौधे से पौधे के बीच की दूरी 2.5 से 3 फीट और लाइन से लाइन के बीच की दूरी 3 फीट होना चाहिए. वहीं, बुवाई के समय आपको खाद की बेसिक डोज की सही जानकारी होनी चाहिए.
एक एकड़ खेत में बुवाई के समय गोबर की खाद 2 ट्रॉली, एसएसपी खाद 50 किलोग्राम और डीएपी खाद 25 किलो देनी चाहिए. शुरू में गड्ढे नुमा क्यारियों में एक या दो बीजों को डालकर बुवाई करनी चाहिए. वहीं, बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें. सर्दियों में भिंडी में 8 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए.