सर्दी जाने के साथ ही गर्मी का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो चुका है. मौसम के मिजाज में हो रहे बदलाव के बीच लोगों को फागुन (फाल्गुन) महीने का एहसास भी होने लगा है. वहीं आम, लीची के पेड़ों पर मंजर आने शुरू हो चुके हैं. लीची के पेड़ों पर मंजर देख किसान खुश हैं. हालांकि किसान मंजर को देख थोड़े मायूस भी हैं क्योंकि शाही लीची के पेड़ों पर जिस तरह से मंजर आए हैं, वैसे इस साल चाइना लीची पर मंजर नहीं दिख रहे हैं.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के किसानों का कहना है कि अभी हाल के समय में जिस तरह का मौसम है, वह लीची के फसल के लिए काफी फायदेमंद है. पिछले साल जहां शाही लीची का उत्पादन कम हुआ था, वहीं, चाइना लीची का उत्पादन बढ़िया रहा था. किसानों के अनुसार शाही लीची से खेती का खर्च निकलता है और चाइना से शुद्ध कमाई होती है.
वहीं, लीची की खेती में ऐसा माना जाता है कि जिस पेड़ पर फल आता है. उस पेड़ पर अगले वर्ष फल नहीं आता है या पिछले साल के अनुपात में बहुत कम आता है. यह लक्षण विशेष रूप से चाइना लीची में देखा जाता है. साथ ही लीची कृषि अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास कहते हैं कि हाल के समय में लीची के लिए मौसम सही दिख रहा है. हालांकि तापमान में औसतन करीब दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखी जा रही है.
वैसे इस दौरान लीची के लिए तापमान 25 डिग्री सेल्सियस बेहतर माना जाता है. किसानों को यही सुझाव है कि वह लीची के बगीचों की सिंचाई समय पर करते रहें. आगे उन्होंने कहा कि बीते साल ऐसा देखा गया था कि मई के महीने में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा था, जिसकी वजह से लीची के फल फटने की घटना अधिक देखने को मिली थी. ऐसे में अगर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है तो लीची के लिए कोई नुकसान नहीं है.
देश के करीब 19 राज्यों में लीची की खेती हो रही है जिसमें, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, असम, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान शामिल है. हालांकि बिहार और पश्चिम बंगाल में लीची का उत्पादन सबसे अधिक होता है.
डॉ. दास ने आगे बताया कि अब राजस्थान के वैसे इलाकों में लीची की खेती शुरू की गई है जहां तापमान राज्य के अन्य स्थानों से कम है. इसमें माउंट आबू, उदयपुर, सिरोही जैसे एरिया शामिल हैं. बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष और किसान बच्चा सिंह कहते हैं कि इस साल शाही लीची का फसल अच्छा होने की उम्मीद है. इसके साथ ही बढ़िया दाम भी मिलने की उम्मीद है.
हालांकि सरकार द्वारा अगर बाहर लीची भेजने को लेकर व्यवस्था सही किया जाए तो किसानों को और अच्छा दाम मिलेगा. लीची के सीजन में फ्लाइट से दूसरी जगह लीची भेजने में काफी दिक्कत आती है. रेलवे द्वारा लीची को लेकर स्पेशल बोगी का व्यवस्था नहीं होने से दिल्ली, मुंबई जैसे अन्य शहरों में पहुंचते-पहुंचते लीची काफी खराब हो जाती है. वहीं, फ्लाइट में जगह की दिक्कत होती है.