देश में मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है. आधे देश में मॉनसून फैल चुका है और बारिश भी हो रही है. यह शुरुआती बारिश है. बारिश के बाद मौसम में बदलाव आएगा और तापमान में भी गिरावट आएगी. इस समय मवेशियों का भी विशेष ध्यान देना पड़ता है ताकि मौसम में हो रहे बदलाव का असर उनपर नहीं हो और उनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहे.
इसे लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD की तरफ से पशुपालकों के लिए सलाह जारी की जाती है. इसका पालन करके पशुपालक अपने मवेशियों को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं और किसी भी तरह के नुकसान से मवेशियों को बचा सकते हैं.
पू्र्वी भारत के राज्यों झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अंडमान-निकोबार के पशुपालकों के लिए सलाह जारी की गई है. ओडिशा के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि मवेशियों को एफएमडी, एचएस और बीक्यू जैसे संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए टीकाकरण कराना चाहिए और उन्हें कृमि की दवा खिलानी चाहिए. मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है, इसलिए ब्रॉयलर और लेयर पॉल्ट्री करने वाले किसानों को अपनी मुर्गियों को संतुलित भोजन देना चाहिए ताकि उन्हें उत्पादन में कमी का सामना नहीं करना पड़े.
पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि जानवरों को एंथ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर और हीमोरेजिक सेप्टिसीमिया रोगों के से बचाने के लिए जल्द से जल्द उनका टीकाकरण कराएं. उनके लिए पर्पाप्त चारा और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें और उनके रहने के स्थान के आस-पास अच्छी जल निकासी की व्यवस्था बनाए रखें. इस दौरान मवेशियों की निरंतर निगरानी करें और उनमें बीमारी या तनाव के संकेतों पर ध्यान दें.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बिहार में बकरियों का टीकाकरण कराए जाने की सलाह दी गई है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इस मौसम में मुर्गियों में कोसिडियोसिस होने का खतरा होता है. इसलिए इससे बचाव और रोकथाम के लिए एम्प्रोलियम 10 ग्राम प्रति 5 लीटर पानी में घोल बनाकर उन्हें पीने के लिए दें.
मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है. इस मौसम से अगर किसान खुले तालाब में मछली पालन करते हैं तो उन्हें इस दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस दौरान कई जगहों से गंदा पानी बहकर तालाब में आकर जमा होता है. इसलिए पानी का पीएच लेवल हमेशा चेक करते रहें. मॉनसून में बारिश की शुरुआत के साथ ही मछलियों की स्टॉकिंग भी शुरू हो जाती है.
ओडिशा में रोहू, कतला और मृगल जैसे कार्प जो तेजी से बढ़ते हैं, उन्हें 4:3:3 के अनुपात में स्टॉक किया जाना चाहिए. इससे किसानों को लाभ होता है. अंडमान निकोबार में जो किसान नर्सरी तैयार करते हैं, वे इस बात का ध्यान रखें कि नर्सरी तालाब में पानी की गहराई 1.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.