
तमिलनाडु में किसानों के प्रति सरकार का सख्त रवैया देखने को मिला है. तमिलनाडु के किसान नेता नेता पी. आर. पांड्यंन को झूठे केस में 13 साल की सजा सुनाई गई है, जिससे देश के किसानों में भारी आक्रोश है. इस कार्रवाई को लेकर किसानों देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है. दरअसल, 2015 में तमिलनाडु में संरक्षित कृषि जोन में ओएनजीसी कंपनी द्वारा किए जा रहे कार्य का किसान नेता पी. आर. पांड्यंन के नेतृत्व में किसानों ने शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर के अपना ऐतराज दर्ज कराया था, जिसे लेकर कंपनी ने किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराई.
ओएनजीसी कंपनी ने उस समय किसानों के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया, जिसके बाद फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने उस मामले में सुनवाई करते हुए किसान नेता पी. आर. पांड्यंन और सेल्वराज को 13 साल की सज़ा सुना दी. इस मुद्दे पर कल शाम को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने इमरजेंसी बैठक करने का फैसला लिया है. साथ ही इस विषय पर देशव्यापी आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने कहा है कि किसान नेताओं को जल्द से जल्द रिहा कराया जाए. किसान नेताओं ने बताया कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है. लेकिन अब उस अधिकार को कुचला जा रहा है. किसान नेताओं ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेते हुए किसान नेताओं की रिहाई के आदेश जारी करें.
इस मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि उन्हें आज अखबारों के माध्यम से पता चला कि तमिलनाडु के किसान नेता नेता पी. आर. पांड्यंन को आंदोलन के दौरान तोड़फोड़ करने के लिए 13 साल की सजा सुनाई गई है, जो एक झूठा मुकदमा है. उन्होंने कहा कि कंपनी ने जो आरोप लगाया है वो गलत है, क्योंकि जिस एरिया में वो कंपनी लगी है उसे सरकार ने एग्रीकल्चर लैंड घोषित किया है. फिर ऐसे में ये कंपनी वहां अपने प्रोजेक्ट कैसे लगा रही थी.
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के साथ गलत कर रही है, क्योंकि किसान नेता पी. आर. पांड्यंन ने पर्यावरण बचाने के लिए आंदोलन करने का फैसला लिया था. ऐसे में उन्हें सजा देना ऐसा साबित होता है कि किसान अब पर्यावरण बचाने या नेचुरल सोर्स को बचाने के लिए आवाज उठाना गलत है. उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि न्यायालय फिर से इसकी जांच करें और किसानों को रिहा करें नहीं तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा.